हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार श्रावण माह को भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण महीना माना गया है। मान्यता है कि भगवान शिव के इस पसंदीदा महीने में पूजा करने से सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर होते हैं। महाराष्ट्र में स्थित शनि शिंगणापुर मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा शनि मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को 'जागृत देवस्थान' के रूप में भी जाना जाता है। शनिदेव के इस मंदिर को 'जागृत देवस्थान' माना जाता है क्यूंकि शनि देव यहाँ स्वयं शिला के रूप में विराजमान हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस प्राचीन मंदिर में शनि पूजा करने और तिल तेल चढ़ाने से शनि साढ़े साती के प्रभावों से राहत मिल सकती है। ज्योतिष के अनुसार, शनि की साढ़े साती को शुभ नहीं माना जाता है। इसका प्रभाव ढाई-ढाई साल के तीन चरणों में जातक पर पड़ता है। साढ़े साती के पहले चरण के दौरान, शनि व्यक्ति के मन को प्रभावित करता है जिससे आर्थिक और भावनात्मक चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। वहीं दुसरे चरण का असर व्यक्ति के कार्यक्षेत्र और परिवार पर भी पड़ सकता है।
शनि साढ़े साती के अंतिम एवं तीसरे चरण में व्यक्ति को कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जो उन्हें शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित कर सकता है। भगवान शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार की पूजा की जाती है, जिनमें शनि तिल तेल अभिषेक और साढ़े साती दोष निवारण महापूजा को अत्यंत प्रभावी माना जाता है। जैसे प्रत्येक देवता का एक विशेष दिन होता है वैसे शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है और इस दिन शनि साढ़े साती दोष निवारण महापूजा और शनि तिल तेल अभिषेक करना बहुत फलदायी माना जाता है। इसलिए, श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और श्रावण के शुभ महीने के दौरान भगवान शनि का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करें।