🌅 श्राद्ध प्रारंभ पर हरिद्वार के पवित्र गंगा घाटों पर होने जा रहा है पितृ शांति महापूजा का आयोजन 🌊🙏🕯️✨
इस अनुष्ठान से जुड़कर आप भी अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। 🙏🌊✨
सनातन धर्म में यह धारणा है कि इंसान केवल अपने प्रयासों से ही नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के आशीर्वाद से भी जीवन में आगे बढ़ता है। पितृ पक्ष का समय इसी भाव का स्मरण कराता है। यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है। जब हम श्राद्ध, तर्पण और दान करते हैं, तो यह केवल अनुष्ठान नहीं होता, बल्कि उनके प्रति हमारी श्रद्धा और प्रेम की अभिव्यक्ति होती है। इसी क्रम में पितृ पक्ष की शुरुआत को विशेष माना गया है। मान्यता है कि जब प्रारंभ में ही श्रद्धा से पूजा की जाती है, तो यह पूरे पक्ष का वातावरण सकारात्मक बना देती है। ऐसे समय में किए गए अनुष्ठान से परिवार में मानसिक शांति और एकता का भाव बढ़ता है। यही कारण है कि इस अवसर पर नारायण बलि, नाग बलि एवं पितृ शांति महापूजा का आयोजन किया जाता है।
नारायण बलि उन आत्माओं की तृप्ति के लिए है जिनकी इच्छाएँ अधूरी रह गईं। नाग बलि उन आत्माओं की शांति के लिए है जो असमय या कठिन परिस्थितियों में देह त्याग चुकी हों और पितृ शांति महापूजा पूर्वजों के स्मरण और उनकी आत्मा को संतोष प्रदान करने का माध्यम है। हरिद्वार के गंगा घाटों पर इन पूजाओं का महत्व और गहरा हो जाता है। गंगा जल में अर्पित आहुति और दीप प्रवाहन के माध्यम से भक्त ऐसा अनुभव करते हैं मानो उनकी भावनाएँ और प्रार्थनाएँ सीधे उनके पूर्वजों तक पहुँच रही हों। यह केवल शांति की प्रार्थना नहीं, बल्कि उस अनदेखे रिश्ते को निभाने का प्रयास है जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है।
पितृ पक्ष में तर्पण और दान की परंपरा भी इसी भावना से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इस काल में किया गया प्रत्येक दान और अर्पण हमें भीतर से हल्का करता है और परिवार के वातावरण को भी संतुलित बनाता है। आप भी इस अनुभूति का हिस्सा बन सकते हैं।
इस वर्ष श्राद्ध प्रारंभ पर हरिद्वार के पावन गंगा घाटों पर श्री मंदिर द्वारा विशेष नारायण बलि, नाग बलि एवं पितृ शांति महापूजा का आयोजन रखा गया है। यह अवसर अपने पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने का है।