🤔 क्या आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है? तब आपका मूलांक 2 होता है, जो चंद्रमा द्वारा संचालित माना जाता है। चंद्रमा भावनाओं, अंतर्ज्ञान, कोमलता और आंतरिक सुरक्षा का कारक माना जाता है। मूलांक 2 वाले स्वभाव से ही सौम्य, संवेदनशील, शांतिप्रिय और अंतर्ज्ञानी होते हैं। आप ऊर्जा को जल्दी महसूस करते हैं, दूसरों की भावनाएँ आसानी से ग्रहण कर लेते हैं और कई बार अनजाने में ही सभी के भावनात्मक सहारे बन जाते हैं। पर जब यह संवेदनशीलता संतुलित नहीं रहती, तब चंद्रमा की शक्ति कमजोर पड़ने लगती है और मन अस्थिर महसूस हो सकता है।
बहुत से मूलांक 2 लोग चुपचाप इन चुनौतियों से गुजरते हैं:
🌙 भावनात्मक भारीपन या ज़रूरत से ज़्यादा सोचना
🌙 दूसरों की समस्याएँ संभालते-संभालते थकान
🌙 छोटी-छोटी बातों से चिंता या असुरक्षा
🌙 मूड में उतार-चढ़ाव या भीतर सूखापन जैसा अनुभव
2026, जो सूर्य प्रधान वर्ष माना जा रहा है, उसमें यह भावनात्मक भार थोड़ा और बढ़ सकता है। सूर्य की तीक्ष्ण ऊर्जा कई बार चंद्रमा की कोमलता को प्रभावित कर देती है, जिससे मन में संवेदनाएँ बिखरी हुई या थकी हुई महसूस हो सकती हैं। धर्म-ग्रंथों में इसे सूक्ष्म भावनात्मक शुष्कता जैसा अनुभव बताया गया है। इसी कारण मूलांक 2 के लिए ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग पर होने वाला यह शिव पूजन विशेष महत्व रखता है। भगवान शिव चंद्रशेखर स्वरूप में चंद्रमा को धारण करते हैं। उनकी उपस्थिति सूर्य की तीव्रता को संतुलित करने, मन को शांत रखने और भावनाओं को स्थिर करने वाला मानी जाती है।
✨ इस पूजा के बारे में मान्यता है कि यह:
👉 भावनात्मक अस्थिरता को शांत करती है।
👉 2026 की सूर्य प्रधान ऊर्जा से चंद्रमा की शक्ति को संभालती है।
👉 चिंता, अत्यधिक संवेदनशीलता और मानसिक थकान को हल्का करती है।
👉 अंतर्ज्ञान, करुणा और भावनात्मक संतुलन को मजबूत करती है।
यह भावनाओं को दबाने का मार्ग नहीं है, बल्कि उन्हें सुरक्षित रखने का तरीका है, ताकि आपकी संवेदनशीलता बोझ न बने, बल्कि एक शक्ति बन सके। 2026 में यह पवित्र अनुष्ठान चंद्रमा की शीतलता को फिर से संतुलित करने जैसा माना जाता है, जिससे साल भर मन में शांति और आत्मविश्वास महसूस हो सके।