🪷 प्रयागराज में माघ मेला पूर्णिमा का शाही स्नान अत्यंत पुण्यदायी और दुर्लभ अवसर माना जाता है। इस पवित्र नगरी के संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन जल में स्नान-अनुष्ठान करने से जीवन के पाप, कष्ट और मानसिक अशांति का नाश संभव है। साल 2026 की पहली महापूर्णिमा पर साधु-संतों, अखाड़ों और कल्पवासियों का भव्य स्नान विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। मान्यता है कि पूर्णिमा के शाही स्नान के साथ रुद्राभिषेक और रुद्र महाहवन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति संभव है। विद्वान मानते हैं कि इस महापूजा से भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ति और स्थिरता मिल सकती है।
🪷 त्रिवेणी संगम में साल में 1 बार आयोजित होने वाले माघ मेले के पहले दिन (शाही स्नान पर) रुद्राभिषेक और रुद्र हवन अत्यंत फलदायी और दुर्लभ अनुष्ठान माने जाते हैं। त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की साक्षी में किया गया रुद्राभिषेक भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न करने की शक्ति रखता है। वहीं, रुद्र हवन से आर्थिक स्थिरता, ग्रह दोषों से रक्षा और मानसिक अशांति का नाश होता है। माघ मास की पवित्रता इस साधना के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देती है। मान्यता है कि इस काल में की गई शिव उपासना से आयु, स्वास्थ्य, शांति, सौभाग्य और इच्छापूर्ति का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🪷 सनातन परंपरा में माघ मेला और त्रिवेणी संगम, अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक प्रतीक माने गए हैं। त्रिवेणी संगम पर हर साल माघ मास में आयोजित माघ मेला श्रद्धा, तप और आत्मशुद्धि का महापर्व है। मान्यता है कि जब इसमें महादेव के दिव्य अनुष्ठानों की ऊर्जा जुड़ती है तो जीवन में बड़े बदलाव के रास्ते अपने आप खुलने लगते हैं। महापूर्णिमा पर मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के ‘संगम’ में स्नान और अनुष्ठानों से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति संभव है। मान्यता है कि माघ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम में किया गया रुद्राभिषेक और रुद्र हवन, कर्म मोक्ष, शांति और इच्छापूर्ति का मार्ग मजबूत कर सकता है। इस महापूजा के माध्यम से साल की शुभ शुरुआत और जीवन में नए और बड़े बदलाव संभव हैं।
📿श्री मंदिर द्वारा माघ मेला प्रथम शाही स्नान विशेष शिव रुद्राभिषेक और रुद्र हवन में भाग लें और सभी इच्छाओं की पूर्ति के साथ वित्तीय स्थिरता का आशीर्वाद पाएं