पुराणों के अनुसार, शिव और शक्ति एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। शिव को शांति और चेतना का रूप माना जाता है, जबकि शक्ति अर्थात मां काली सृजन और ऊर्जा का प्रतीक हैं। माना जाता है कि शिव, शक्ति के बिना निष्क्रिय हो जाते हैं और शक्ति, शिव के बिना अपनी दिशा खो देती हैं। यही कारण है कि भगवान शिव की पूजा तब तक संपन्न नहीं मानी जाती, जब तक शक्ति अर्थात मां काली की पूजा न की जाए। इसीलिए श्री मंदिर द्वारा श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में 1,08,000 शिव पंचाक्षरी मंत्र जाप और शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में 1,08,000 माँ काली रुद्र रूप मंत्र जाप और हवन का आयोजन कराया जा रहा है। यह अनुष्ठान 11 ब्राह्मणों द्वारा संपन्न किया जाएगा। मान्यता है कि यह अनुष्ठान करने या इसमें भाग लेने वाले भक्तों को भौतिक सफलता और आध्यात्मिक विकास को संतुलित करने की दोहरी दैवीय ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पंचाक्षरी मंत्र का जाप करना चाहिए। ॐ नमः शिवाय ही पंचाक्षरी मंत्र है और इसे शिवज्ञान भी कहा गया है। इसे संसार का पहला मंत्र माना जाता है और इसके जाप से किसी भी मनवांछित फल की प्राप्त की जा सकती है। वहीं मां काली को प्रसन्न करने एवं उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माँ काली रुद्र रूप मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हलीं ह्रीं खं स्फोटय क्रीं क्रीं क्रीं फट” को सबसे लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र मां काली के दक्षिणा स्वरूप को समर्पित है। मां काली ने यह रूप रक्तबीज नामक असुर का वध करने के लिए धारण किया था। यह संयुक्त पूजा श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में करने से कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है, क्योंकि भगवान शिव और मां काली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह दोनों मंदिर सबसे प्रसिद्ध माने जाते हैं। श्री मंदिर के माध्यम से इस संयुक्त पूजा में भाग लें और भगवान शिव और शक्ति अर्थात मां काली से भौतिक सफलता और आध्यात्मिक विकास को संतुलित करने की दोहरी दैवीय ऊर्जा का आशीर्वाद प्राप्त करें।