भगवान शिव को “देवों के देव महादेव” भी कहा जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित है और इस माह में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव के साथ मां गंगा की पूजा करना भी काफी लाभदायक माना गया है। भगवान शिव और मां गंगा की एक साथ पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार उत्तराखंड के चार धामों में से एक, गंगोत्री धाम वह स्थान है जहां मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं। यह वह स्थान है जहां रघुवंश के महान राजा भगीरथ ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए और मां गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया ताकि उनके प्रवाह को शांत किया जा सके। इसलिए गंगोत्री धाम में भगवान शिव के साथ मां गंगा की पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण मास में सोमवार के दिन यहां भक्त भगवान शिव के साथ मां गंगा की पूजा करके अच्छे स्वास्थ्य और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
श्रावण मास में भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए कई अनुष्ठान करते हैं। इनमें से एक अनुष्ठान रुद्राभिषेक है। रुद्राभिषेक से जुड़ी एक मान्यता है कि जो भी भक्त किसी विशेष इच्छा को मन में रखकर भगवान शिव का अभिषेक करता है, उसकी इच्छा भगवान पूरी करते हैं। श्रावण मास के दौरान सोमवार को पवित्र गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि भगवान शिव का गंगा जल से जलाभिषेक करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है और मां गंगा का दूध से अभिषेक करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसलिए श्रावण सोमवार के शुभ दिन पर गंगोत्री धाम में शिव-गंगा पूजन और गंगा दूध अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव के साथ मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करें।