🌸 शीतला सातम का महत्व जानिए और समझिए कैसे यह दिन बच्चों की देखभाल और सेहत से जुड़ा हुआ माना जाता है 🌿
🙏 काशी के माँ शीतला मंदिर में होने वाली विशेष पूजा में शामिल होकर माँ का स्मरण करें 🌼
हर माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता होती है अपने बच्चों को बीमारियों से बचाए रखना और उनका स्वस्थ विकास सुनिश्चित करना। बदलते मौसम, मिलावटी खानपान और वातावरण में फैलती बीमारियां बच्चों की सेहत पर सबसे जल्दी असर डालती हैं। चेचक (शीतला), खसरा, फोड़े-फुंसी, नेत्र रोग या बार-बार आने वाला बुखार ऐसी स्थितियाँ हैं जिनसे बच्चे बार-बार प्रभावित हो सकते हैं। जब सामान्य इलाज और दवाइयों से राहत नहीं मिलती, तब मन किसी गहरे और स्थायी समाधान की तलाश करता है। भारतीय संस्कृति में ऐसे समय में माँ शीतला देवी की शरण लेने की परंपरा रही है। शास्त्रों में माँ शीतला को ‘रोगों की नाशिनी’ कहा गया है।
मान्यता है कि सच्चे मन से उनकी पूजा और शीतला अष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से बच्चों को संक्रामक रोगों से बचाव मिल सकता है। उनकी पूजा में विशेष रूप से बासी भोजन चढ़ाया जाता है। यह परंपरा शुद्धता, ठंडक और रोग-निवारण की भावनाओं को दर्शाती है। शीतला सातम का पर्व विशेष रूप से माँ शीतला की कृपा प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। इसीलिए इस शुभ अवसर पर काशी के प्राचीन शीतला माता मंदिर में एक विशेष पूजा और स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। यह मंदिर न सिर्फ अपनी आध्यात्मिकता के लिए बल्कि अपने रोग-निवारण प्रभावों के लिए भी श्रद्धालुओं में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से माँ का स्मरण करने से बार-बार बीमार पड़ने वाले बच्चों को राहत मिलती है और चर्म रोगों में भी सुधार होता है।
यदि आप भी अपने बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, और एक ऐसे समाधान की तलाश में हैं जो शारीरिक उपचार के साथ-साथ आध्यात्मिक संबल भी दे सके, तो इस शीतला सातम पर श्रीमंदिर द्वारा आयोजित माँ शीतला पूजा और शीतला अष्टकम स्तोत्र पाठ में सहभागी बनें। माँ शीतला का आशीर्वाद पाकर अपने परिवार के लिए रोगों से राहत, सुरक्षा और संतुलन की कामना करें।