🍃 शनि त्रयोदशी और शनि प्रदोष पूजा आखिर क्या है? शनि प्रदोष एक विशेष अवसर है, जब शनि देव का पूजन प्रदोष व्रत के दिन किया जाता है। त्रयोदशी तिथि, प्रदोष और शनिवार के दुर्लभ संयोग में शनिदेव के अनुष्ठानों का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। शनि प्रदोष महापूजा से शनि दोष निवारण, दरिद्रता का नाश और जीवन में चुनौतियों से निपटने की मजबूत दिशा मिल सकती है। इस शनि त्रयोदशी पर गुजरात के हथला शनिदेव मंदिर में तिल तेल अभिषेक के साथ शनि साढ़े साती महापूजा आयोजित हो रही है, जो अपने आप में एक सुनहरा अवसर है।
🍃 हथला शनि देव मंदिर में शनि त्रयोदशी-प्रदोष पर शनि साढ़े साती पूजा और तिल तेल अभिषेक किया जाएगा। यह गुजरात स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जहाँ शनि देव की विशेष पूजा होती है। यह मंदिर शनि दोष निवारण और शांति के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही यह गांव शनिदेव का जन्म स्थान भी माना गया है, जो इस अनुष्ठान की महिमा को और ज्यादा बढ़ा देता है। कहते हैं कि जब कुंडली में शनि रूठ जाएं या अपनी चालें बदल दें तो छोटी से छोटी बाधा भी धीरे-धीरे बड़ी बनती चली जाती है। वहीं, कर्म और न्याय के देवता शनि की कृपा जब होती है तो चुनौतियों से निपटने का साहस और आत्मबल मजबूत बना रहता है।
🍃 शनिदेव के जन्म स्थान, हथला (गुजरात) में तिल तेल अभिषेक और शनि साढ़े साती महापूजा का अत्यधिक महत्व है। यहां विशेष रूप से शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए तिल और तेल से अभिषेक किया जाता है, जो शनि का आशीष पाने का दिव्य उपाय माना गया है। शनि साढ़े साती के दौरान यह पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी गई है। इस महापूजा के माध्यम से शनि दोष निवारण, दरिद्रता का नाश और जीवन में चुनौतियों-बाधाओ से रक्षा की दिशा मिलती है।
🙏 आप भी श्री मंदिर के माध्यम से घर बैठे इस विशेष शनिवार त्रयोदशी-प्रदोष पूजा में शामिल होकर जीवन में बाधाओं से निपटने का आशीर्वाद पा सकते हैं।