🌑✨ क्या आपके जीवन में लगातार रुकावटें और नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है? भगवान कालभैरव की अमावस्या पूजा से पाएं अदृश्य सुरक्षा और मानसिक शांति! 🙏🔥
सनातन धर्म में भगवान कालभैरव को समय, दिशा और सुरक्षा का देवता माना जाता है। वे अदृश्य नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं और बुरी नजर से रक्षा करते हैं। जब बिना वजह परेशानियां बढ़ने लगें, स्वास्थ्य बिगड़ने लगे या मन भारी महसूस हो, तो यह नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं का संकेत हो सकता है। ऐसे समय में भगवान कालभैरव की पूजा से भय और असुरक्षा कम हो सकती है और जीवन में शांति मिल सकती है। अमावस्या की रात का विशेष महत्व है। यह समय नकारात्मक ऊर्जा के सक्रिय होने का माना जाता है, लेकिन पूजा के लिए उपयुक्त अवसर भी माना जाता है। खासकर अमावस्या की निशित काल यानी मध्यरात्रि, भगवान कालभैरव की आराधना के लिए प्रभावशाली माना जाता है। इस समय साधना से साधक के चारों ओर सुरक्षा का कवच बन सकता है जो बुरी शक्तियों से बचाव करता है।
इस अमावस्या के पावन अवसर पर काशी के प्राचीन बटुक भैरव मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा। इसमें 21 ब्राह्मण कालभैरव सहस्त्रनामावली का पाठ करेंगे, जिसमें भगवान के नामों का स्मरण होगा। इसके बाद 11 बार भैरव पंजर कवच पाठ होगा, जो संकटों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। अंत में भैरव मूल मंत्र यज्ञ होगा, जिसमें मंत्रों और आहुतियों से नकारात्मक ऊर्जा को कम करने का प्रयास किया जाएगा। यह पूजा जीवन में नकारात्मक प्रभावों को कम करने और मानसिक स्थिरता लाने में सहायक हो सकती है। इसके जरिए जीवन में आने वाली बाधाएं कुछ हद तक कम हो सकती हैं और मन को शांति मिल सकती है।
श्री मंदिर के माध्यम से आप भी इस पूजा में शामिल होकर भगवान कालभैरव की कृपा का अनुभव कर सकते हैं। अमावस्या की निशित काल में इस अनुष्ठान में भाग लेकर अपने जीवन और परिवार को नकारात्मक प्रभावों से बचाने का प्रयास कर सकते हैं।