🐍 जब जीवन में सब कुछ होते हुए भी आगे बढ़ना कठिन लगने लगे, मेहनत के बाद भी काम बार बार अटक जाए और मन में लगातार अनजानी बेचैनी बनी रहे, तब कई लोग इन स्थितियों को ज्योतिषीय कारणों से जोड़कर देखने लगते हैं। ऐसे अनुभवों के संदर्भ में सर्प दोष का उल्लेख मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्प दोष की स्थिति अलग अलग कारणों से बन सकती है और इसका स्वरूप काल सर्प दोष से भिन्न माना जाता है।
सर्प दोष सामान्य रूप से नाग तत्व, पूर्व कर्मों और कुछ विशेष ग्रह स्थितियों से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसमें यह आवश्यक नहीं होता कि सभी ग्रह राहु और केतु के बीच ही हों, जैसा कि काल सर्प दोष में बताया जाता है। सर्प दोष की स्थिति में जीवन में देरी, रुकावटें, मन की अस्थिरता, विवाह से जुड़ी उलझनें, त्वचा संबंधी समस्याएं या बिना स्पष्ट कारण के भारीपन का अनुभव हो सकता है। ये अनुभव अक्सर धीरे धीरे बढ़ते हैं, जिससे व्यक्ति भीतर ही भीतर उलझन महसूस करने लगता है।
🧠 समय के साथ यह उलझन केवल बाहरी परिस्थितियों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि मानसिक स्तर पर भी असर डालने लगती है। राहु भ्रम और असमंजस की स्थिति पैदा करता है, जबकि केतु दूरी और अलगाव की भावना से जुड़ा माना जाता है। ऐसे में आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है और व्यक्ति बार बार खुद से सवाल करता है, लेकिन स्पष्ट उत्तर नहीं मिल पाता। वर्ष का पहला सोमवार इन भावनाओं को समझने और स्वयं को दोबारा संतुलित करने का एक प्रतीकात्मक अवसर माना जाता है, जहां नई शुरुआत की भावना जुड़ी होती है।
🔱 ऐसे समय में देवों के देव महादेव की उपासना को विशेष महत्व दिया जाता है। भगवान शिव को नागों का स्वामी कहा जाता है और उनके कंठ में विराजमान वासुकी नाग यह संकेत देते हैं कि विष, भय और उलझनों को दबाने के बजाय संतुलन के साथ स्वीकार करना ही मार्ग है। सर्प दोष से जुड़ी साधनाओं में शिव उपासना और रुद्राभिषेक को मन, शरीर और ऊर्जा के स्तर पर संतुलन से जोड़कर देखा जाता है।
🛕 सर्प दोष और काल सर्प दोष से जुड़े अनुष्ठानों के लिए उज्जैन का क्षिप्रा घाट विशेष महत्व रखता है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित यह क्षेत्र शिव तत्व से गहराई से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहां किए जाने वाले सर्प दोष और काल सर्प दोष संबंधी पूजन को आत्मचिंतन, कर्म संतुलन और जीवन में रुकी प्रक्रियाओं को समझने का माध्यम माना जाता है। यदि आप भी विवाह में देरी, त्वचा से जुड़ी परेशानियों या राहु के प्रभाव से जुड़ी मानसिक थकान का अनुभव कर रहे हैं, तो वर्ष के पहले सोमवार के दिन महाकाल के नगरी में आयोजित इस विशेष सर्प दोष निवारण पूजा एवं शिव रुद्राभिषेक में श्री मंदिर के माध्यम से सहभागी बनकर महादेव के चरणों में अपनी चिंताओं को श्रद्धा के साथ अर्पित कर सकते हैं।