🕉️✨ सनातन धर्म में आर्द्रा नक्षत्र के दौरान महादेव की पूजा अत्यंत फलदायी और विशेष मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी स्वयं रुद्र हैं, जो महादेव के ही उग्र रूप माने गए हैं। इस नक्षत्र में की गई पूजा से जीवन के कष्ट, रोग और शत्रु बाधाएं शांत हो सकती हैं। इस सोमवार आर्द्रा नक्षत्र काल में 11 पवित्र द्रव्यों के साथ रुद्राभिषेक, 1,108 आहुतियों के साथ हवन और एकादश रुद्र पाठ का आयोजन होने जा रहा है। मान्यता है कि इस महापूजा से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन से नकारात्मकता, अशांति दूर हो सकती है। कहते हैं कि महादेव का रुद्र अवतार संहारक और विनाशक माना जाता है लेकिन उनकी करुणा से बड़े से बड़े कष्ट और दुर्भाग्य, सौभाग्य में बदलने शुरू हो जाते हैं।
🕉️✨ रुद्र-आर्द्रा महा शांति पूजा एक अत्यंत शक्तिशाली अनुष्ठान है, जिसे आर्द्रा नक्षत्र में करना विशेष फलदायी माना गया है। विद्वान मानते हैं कि इस दिन की गई पूजा से जीवन में चल रहे क्लेश, मानसिक अशांति और नकारात्मक ऊर्जाएँ जल्द शांत होती हैं। इस अनुष्ठान में शामिल रुद्र हवन से रोग-शोक दूर हो सकते हैं और जीवन में शांति, स्थिरता और दीर्घायु जीवन की दिशा मजबूत हो सकती है।
🕉️✨11 पवित्र द्रव्यों के साथ महारुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का अत्यंत प्रभावकारी और शुभ अनुष्ठान माना गया है। इस विशेष अभिषेक में दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, गन्ने का रस, शक्कर, चंदन जल, बेलपत्र, धतूरा जैसे 11 पवित्र द्रव्यों का प्रयोग किया जाएगा। विद्वान पुरोहितों द्वारा इन द्रव्यों के साथ शिवलिंग पर महाभिषेक करने से सभी दोषों और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश संभव है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि के बंद दरवाजे इस अनुष्ठान से खुल सकत हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि महारुद्राभिषेक आरोग्यता, आयु और मोक्ष की दिशा दिखाता है और यह साधना परिवार में शांति और मंगलकारी वातावरण बढ़ाने में मददगार मानी गई है।
🕉️✨ इस नक्षत्र काल में 1,108 आहुति रुद्र हवन और एकादश रुद्र पाठ भी शामिल है, जो महादेव की आराधना का बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली अनुष्ठान माना गया है। इस महापूजा में रुद्र सूक्त के साथ 1,108 आहुतियाँ दी जाएंगी, जिससे नकारात्मक ऊर्जाएं अपना रास्ता बदलने लगती हैं। साथ ही एकादश रुद्र पाठ द्वारा भगवान शिव के 11 रूपों का आह्वान कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से नकारात्मकता, कर्म अशांति और आंतरिक संघर्षों से राहत की दिशा मजबूत होती है और जीवन में नए और बड़े बदलावों का अनुभव होता है। श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह महापूजा इस महीने का सुनहरा अवसर है।