💰 नए साल के आते ही कई लोगों के मन में बीते समय की आर्थिक चिंताएँ और आगे की राह को लेकर असमंजस उभरने लगता है। यदि आप भी ठीक इसी तरह की परिस्थितयों से जूझ रहे हैं, तो साल का पहला बुधवार आपके लिए एक निर्णायक मोड़ बन सकता है। दरअसल जब लगातार प्रयासों के बाद भी धन से जुड़ा रास्ता स्पष्ट न दिखे, तब सनातन परंपरा में भगवान गणेश की आराधना का स्मरण किया जाता है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता गणेश जी की उपासना व्यक्ति को अपने विचारों को स्थिर करने और परिस्थितियों को समझने की शक्ति देती है।
📜 इसी संदर्भ में शास्त्रों में ऋण नाशक गणेश स्तोत्र का उल्लेख मिलता है। यह स्तोत्र केवल धन से जुड़ी बातों तक सीमित नहीं माना गया है, बल्कि मन पर पड़े आर्थिक बोझ और असंतुलन को शांत करने की भावना से भी जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि इसके नियमित पाठ से धैर्य और विवेक का विकास होता है, जो नए वर्ष की शुरुआत में सही निर्णय लेने में सहायक होता है।
📅 जब यह साधना बुधवार के दिन की जाती है, विशेषकर पहले बुधवार के दिन तो इसका महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि सप्ताह का यह पावन दिन भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। यह दिन बुद्धि, समझ और निर्णय क्षमता से भी जुड़ा होता है। इसलिए साल के पहले बुधवार को की गई गणेश आराधना को पूरे वर्ष के लिए विचारों और कार्यों को संतुलित करने का प्रतीक माना जाता है।
🙏 इसी संतुलन की भावना के साथ भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सुखकर्ता और दुखहर्ता के रूप में पूजित किया गया है। उनके 1008 नामों का जाप कर प्रत्येक नाम के साथ दूर्वा अर्पित करना एक प्रचलित साधना मानी जाती है। दूर्वा और मोदक भगवान गणेश को प्रिय बताए गए हैं। ऐसी धारणा है कि श्रद्धा भाव से किया गया यह अर्पण साधक को नकारात्मक विचारों से दूर रखने में सहायक होता है।
🛕 यही कारण है कि साल के पहले बुधवार पर उज्जैन स्थित श्री चिंतामण गणेश मंदिर का विशेष महत्व बताया गया है। महाकाल की नगरी में स्थित इस मंदिर में बुधवार के दिन की गई साधना को मन, कर्म और चिंतन के संतुलन से जोड़ा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जिस समय माता पार्वती ने भगवान गणेश की रचना की थी, उस समय बुधदेव कैलाश पर्वत पर उपस्थित थे, जिससे बुधवार और गणेश उपासना का संबंध और गहरा माना गया।
🪔 इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए साल के पहले बुधवार को श्री चिंतामण गणेश मंदिर में श्री गणेश ऋण नाशक स्तोत्र पाठ और 1008 गणेश दूर्वा अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से भक्त इस अनुष्ठान में सहभागी बनकर भगवान गणेश के चरणों में अपनी आर्थिक चिंताएँ, मानसिक बोझ और जीवन से जुड़ी प्रार्थनाएँ श्रद्धा भाव से अर्पित कर सकते हैं।