ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि शनि और राहु दोनों ही जीवन में गहरी चुनौतियाँ ला सकते हैं। शनि धीरे-धीरे जीवन की परीक्षाएँ सामने रखता है और धैर्य की कसौटी लेता है, जबकि राहु महत्वाकांक्षा, भ्रम और अनिश्चितता को बढ़ाता है। जब ये दोनों किसी कुंडली में साथ आते हैं तो उनकी युति एक तरह का श्रापित प्रभाव उत्पन्न करती है, जिससे व्यक्ति को लगातार रुकावटें, भ्रम, देरी और असफलताओं का सामना करना पड़ता है। परंपराओं में यह भी धारणा है कि उचित पूजा और हवन के माध्यम से इन ग्रहों की कठोरता को काफी हद तक शांत किया जा सकता है, जिससे जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है।
साल 2025 के अंत में शनिवार और राहु नक्षत्र का जो शक्तिशाली संयोग बन रहा है, उसे अत्यंत शुभ और प्रभावी समय माना जाता है। वर्ष के अंतिम राहु नक्षत्र का शनिवार पर पड़ना ऐसा अवसर है जब राहु और शनि से जुड़े दोषों को शांत करने के लिए किए गए अनुष्ठान विशेष रूप से सिद्ध और फलदायी माने जाते हैं। शनिवार शनि देव को समर्पित होता है और राहु आर्द्रा नक्षत्र राहु की ऊर्जा को जाग्रत करता है, इसलिए इन दोनों का मिलन एक अत्यंत प्रभावशाली समय बनाता है।
इसी दिव्य संयोग पर उज्जैन की पवित्र भूमि पर स्थित श्री नवग्रह शनि मंदिर में राहु-शनि श्रापित दोष शांति हवन और तिल-तेल अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि इस अनुष्ठान में सम्मिलित होकर व्यक्ति जीवन में आ रही देरी, भ्रम, असफलताओं और नकारात्मक ग्रह प्रभावों से धीरे-धीरे राहत पा सकता है। वहीं तिल-तेल अभिषेक शनि की कठोरता को नरम करता है और राहु से उत्पन्न मानसिक भ्रम को शांत करता है, जिससे मन में स्पष्टता, आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता बढ़ती है।
इस विशेष और साल के आखिरी प्रभावशाली संयोग में आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें क्योंकि परंपरा कहती है कि जब कठिन ग्रह संयोजन शांत होते हैं, तो मनुष्य के प्रयास सफल होने लगते हैं और जीवन की गति रुकने के बजाय आगे बढ़ने लगती है। यह समय उन सभी के लिए विशेष माना जाता है जो लगातार बाधाओं, रुकावटों या अनिश्चितताओं से जूझ रहे हैं और नए मार्ग की खोज में हैं।
इस समय को जानें न दें श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें।✨🔥