😟 क्या कभी ऐसा महसूस होता है कि आपकी पूरी मेहनत के बावजूद जीवन संघर्षों से भरा हुआ है? बार-बार आने वाली स्वास्थ्य समस्याएं आपकी ऊर्जा को खत्म कर देती हैं, मानसिक तनाव निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, और अचानक आने वाली रुकावटें सफलता के रास्ते में बाधा बन जाती हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ऐसे संघर्ष राहु, केतु और शनिदेव जैसे शक्तिशाली ग्रहों के अशुभ प्रभावों का परिणाम हो सकते हैं। इन ग्रहों की स्थिति कभी-कभी ऐसे दोष उत्पन्न करती है जो लंबे समय तक जीवन में कठिनाइयाँ लाते हैं। परंतु शास्त्रों में इसका एक दिव्य समाधान भी बताया गया है। शनिवार को पड़ने वाले पवित्र शनि प्रदोष के दिन, जब भगवान शिव और शनिदेव की दिव्य ऊर्जा सबसे सुलभ होती है, विशेष पूजन से इन बाधाओं से मुक्ति और दिव्य संरक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
पुराणों के अनुसार, सभी नवग्रहों की शक्ति भगवान शिव से ही प्राप्त होती है और वे उनके परम भक्त हैं। स्वयं शनिदेव भी महादेव के उपासक हैं। शनिवार के दिन, विशेष रूप से प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने से शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। इसी प्रकार, छाया ग्रह राहु ने भी भगवान शिव की आराधना कर ग्रहत्व प्राप्त किया था। जैसे भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय विश्व की रक्षा के लिए घातक हलाहल विष को पी लिया था, वैसे ही वे अपने भक्तों के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को भी ग्रहण कर उसे आशीर्वाद में बदल सकते हैं।
इस पवित्र शनि प्रदोष पर, शक्तिशाली राहु पैठाणी मंदिर में विशेष राहु-केतु शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक किया जाएगा। राहु-केतु शांति पूजा इन छाया ग्रहों को शांत करके उनके नकारात्मक प्रभावों को कम करती है। इसके बाद शिव रुद्राभिषेक किया जाएगा, जिसमें भगवान शिव को दूध, शहद और अन्य पवित्र वस्तुओं से स्नान कराया जाएगा। यह अनुष्ठान स्वास्थ्य, सुरक्षा और दीर्घायु के लिए सर्वोच्च आशीर्वाद आमंत्रित करता है। जहाँ भगवान शिव और राहु की संयुक्त उपासना होती है, वहाँ इन शक्तिशाली ग्रहों के दोषों का प्रभाव कम हो जाता है, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर होती हैं और जीवन में आने वाली बाधाएँ हट जाती हैं।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजा आपके जीवन में भगवान शिव, शनिदेव, राहु और केतु के संयुक्त आशीर्वाद लेकर आती है।