🌸 इस जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण के दिव्य आशीर्वाद के लिए श्रृंगार, 108 नामों की अर्चना और झूलन सेवा के माध्यम से प्रेम, सद्भाव और भक्ति का अनुभव करें।
🌸 कृष्ण जन्माष्टमी की इस पावन रात को भक्त सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी नहीं मनाते, बल्कि राधा-कृष्ण के बीच के शाश्वत प्रेम का भी उत्सव मनाते हैं, जो सच्ची भक्ति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि भाद्रपद माह में मनाई जाने वाली झूलन सेवा की परंपरा वृंदावन की उन लीलाओं से जुड़ी है, जब गोपियाँ प्रेमपूर्वक राधा और कृष्ण को सुंदर सजे हुए झूले पर बैठाकर झुलाती थीं। राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार और अष्टोत्तर शतनामावली अर्चना (108 नामों की पूजा) उनके दिव्य प्रेम और संतुलन को समर्पित होते हैं। यह सेवा भक्तों को यह अवसर देती है कि वे अपने जीवन में प्रेम, सामंजस्य और आध्यात्मिक जुड़ाव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
🪈 कृष्ण जन्माष्टमी की कथा:
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में हुआ था। उनके मामा कंस ने उनके माता-पिता वसुदेव और देवकी को कैद कर लिया था क्योंकि एक भविष्यवाणी के अनुसार देवकी का आठवां पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। कृष्ण के जन्म के तुरंत बाद वसुदेव उन्हें गोकुल ले गए, जहाँ नंद और यशोदा ने उन्हें प्रेम से पाला। इस शुभ अवसर पर राधा-कृष्ण का विशेष महाश्रृंगार किया जाएगा और आपके घर तक एक आशीर्वाद पेटी भेजी जाएगी। आप इस पवित्र आरती में भाग लेकर कान्हा को अपने प्रेम और भक्ति के साथ अपने घर आमंत्रित कर सकते हैं।
💫 भव्य महाश्रृंगार समारोह की मुख्य बातें:
राधा-कृष्ण महाश्रृंगार सेवा – राधा और कृष्ण को सुंदर वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है, जिससे उनके दिव्य सौंदर्य और प्रेम का उत्सव होता है।
अष्टोत्तर शतनामावली अर्चना (108 नाम पूजा) – राधा-कृष्ण के 108 पवित्र नामों का जाप करते हुए भक्त उनके प्रेम और कृपा के गुणों का आह्वान करते हैं।
झूलन सेवा – एक पारंपरिक झूला जिसमें राधा-कृष्ण को एक साथ झूले पर बैठाकर भक्ति गीतों के बीच झुलाया जाता है। यह सेवा प्रेम और आनंद का प्रतीक मानी जाती है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य पूजा में सहभागी बनें और पूरे परिवार के साथ जन्माष्टमी के इस पावन पर्व को भक्ति और आनंद से भर दें।