💖 क्या आप बीते रिश्तों के दुख से गुजर रहे हैं या जीवन में सच्चे प्रेम की तलाश में हैं? राधा अष्टमी के इस पावन अवसर पर किया जाने वाला विशेष जप आपके हृदय को शांति दे सकता है और जीवन को दिव्य प्रेम से भर सकता है।
राधा अष्टमी देवी राधा जी के प्रकटोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। कथा है कि राजा वृषभानु ने उन्हें बरसाने के एक तालाब में सुनहरी कमल पर विराजमान पाया। माना जाता है कि राधा रानी ने अपनी आँखें तभी खोलीं जब शिशु कृष्ण उनके सामने लाए गए। उस क्षण उनके दिव्य प्रेम की शुरुआत हुई। राधा जी केवल भक्त नहीं हैं, वे स्वयं प्रेम की आदिशक्ति और भक्ति का स्वरूप हैं। यही कारण है कि राधा अष्टमी का दिन जीवन में प्रेम और करुणा की शक्ति को आमंत्रित करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। यह विशेष अनुष्ठान वृंदावन के श्री राधा रमण मंदिर में सम्पन्न होगा वह भूमि जहाँ राधा-कृष्ण का प्रेम अमर हुआ। इस मंदिर में भगवान कृष्ण का स्वयं-प्रकट विग्रह विराजमान है, जिनका नाम ही है राधा रमण अर्थात राधा को आनंद देने वाले।
इस पावन दिन पाँच आचार्य-ब्राह्मण मिलकर 1,008 राधा नाम जप और 1008 शास्त्रनाम अर्चन करेंगे। देवी राधा के प्रत्येक नाम में उनकी करुणा और प्रेम का विशेष गुण निहित है। पाँच ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक जप से वातावरण में भक्ति और प्रेम की ऊर्जा कई गुना प्रबल हो जाती है। माना जाता है कि इस अनुष्ठान से भक्तों के हृदय में करुणा, निष्ठा और सच्चे प्रेम का संचार होता है। यह जाप उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो:
सच्चे और सहृदय जीवनसाथी की कामना रखते हैं।
संबंधों में खटास दूर करना चाहते हैं।
टूटे हृदय की पीड़ा से मुक्ति पाकर प्रेम और विश्वास का अनुभव करना चाहते हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से राधा अष्टमी के पवित्र दिन पर इस विशेष पूजा में शामिल हों और स्वस्थ हृदय और दिव्य प्रेम का आशीर्वाद प्राप्त करें।