🔱 हिंदू धर्म में ‘महादेव की काशी’ में एकादशी के दिन पितृ शांति महापूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा पितरों के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का सबसे पवित्र अवसर है। काशी, जिसे पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, यहाँ के घाटों और पिशाच मोचन कुंड पर इस दिन विशेष पितृ शांति महापूजा आयोजित की जाती है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें प्रभु का मार्ग दिखाने के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। इस पूजा में तर्पण, हवन, और विशेष रूप से पितृ दोष निवारण के लिए विधिपूर्वक अनुष्ठान किए जाते हैं। एकादशी की यह पूजा जीवन में पारिवारिक खुशहाली, समृद्धि और पितृकृपा को आकर्षित कर सकती है।
🔱 काशी में बहती मां गंगा की धारा जीवन और मृत्यु के बीच का सेतु मानी जाती है, जो आत्मा को परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग दिखाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि काशी में किया गया पूजन आत्मा को शांति और प्रभु के मार्ग पर ले जाता है। विशेष रूप से पितृ अनुष्ठानों के लिए पिशाच मोचन कुंड अत्यंत पवित्र और फलदायी स्थल माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को जल्द शांति मिलती है और परिवार से पितृ दोष के प्रभाव दूर होने लगते हैं। यहां किया गया पूजन न केवल आत्मिक शांति देता है, बल्कि घर-परिवार में सुख, स्थिरता और सौहार्द लाने वाला माना जाता है। इस नगर का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि स्वयं भगवान शिव ने इसे मोक्ष प्रदान करने वाली नगरी घोषित किया था। पापांकुशा एकादशी इस पितृ पूजा के लिए एक स्वर्णिम अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
🔱 काशी का पिशाच मोचन कुंड और अस्सी घाट दोनों ही अत्यंत पवित्र, मोक्षदायी और महत्त्वपूर्ण स्थल हैं। मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड में अनुष्ठानों से पितृदोष के साथ-साथ नकारात्मक शक्तियों से रक्षा का आशीष मिलता है। यह दिव्य स्थान पूर्वजों की शांति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। वहीं, अस्सी घाट वह पावन स्थल है, जहाँ गंगा और अस्सी नदी का संगम होता है। विद्वान मानते हैं कि यहां की गई गंगा आरती से जीवन के पाप नष्ट होते हैं और पूर्वजों का दिव्य आशीर्वाद मिलता है। दोनों ही स्थान पितृ पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए बड़े माने गए हैं।
🪔 श्री मंदिर के माध्यम से आप घर बैठे काशी के इस दिव्य अनुष्ठान से जुड़कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।