🙏पवित्र महाकुंभ शाही स्नान का क्या है महत्व?🌟🕉️💫
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज (सभी तीर्थ स्थलों का राजा) कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होता है, तो प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। 2025 में यह संरेखण हो रहा है इसलिए इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित होगा। शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस बार महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिसमें चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर होगा। जो कि 3 फरवरी को होने वाला है।
बसंत पंचमी के दिन शाही स्नान पर पितृ पूजा करना कितना प्रभावशाली है?
हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं, शास्त्रों की मानें तो बसंत पंचमी के दिन पवित्र स्नान और तर्पण आदि करने का भी विशेष महत्व है। इसलिए इस पावन दिन पर पितृ दोष शांति महापूजा करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है। हिंदु धर्मग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक को आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सामना करना पडता है। वहीं, कहते हैं कि यदि यह पूजा तीर्थ स्थल पर की जाए तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में तीर्थस्थलों का राजा कहे जाने वाले शहर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम का विशेष महत्व है। पदम पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति त्रिवेणी संगम पर पितरों के लिए पूजा करता है, उसके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए महाकुंभ के चौथे शाही स्नान यानी बसंत पंचमी के शुभ दिन पर त्रिवेणी संगम में पितृ दोष शांति महापूजा के साथ त्रिवेणी संगम गंगा आरती का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और पूर्वजों की आत्मा की शांति और परिवारिक विवादों से मुक्ति का आशीष प्राप्त करें।