🔱 सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा पर पितृ दोष शांति पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की सोलह कलाएं जागृत रहती हैं और उसकी किरणों से अमृत बरसता है, जिससे पितरों को तृप्ति मिल सकती है। इस अवसर पर महादेव और मोक्ष की नगरी काशी में पितृ शांति महापूजा की जाए तो पितरों को मुक्ति की दिशा मिल सकती है और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है। यह पूजा परिवार में शांति, सुख-समृद्धि और संघर्षों को सफलता में बदलने की शक्ति रखती है। शास्त्रों में कहा गया है कि शरद पूर्णिमा पर किया गया पितृ शांति कर्म पितरों की आत्मा को शांति देता है और परिवार में सुख, समृद्धि और खुशहाली बढ़ती है।
🔱 काशी में बहती मां गंगा की धारा जीवन और मृत्यु के बीच का सेतु मानी जाती है, जो आत्मा को परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग दिखाती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि काशी में किया गया पूजन आत्मा को शांति और प्रभु के मार्ग पर ले जाता है। विशेष रूप से पितृ अनुष्ठानों के लिए पिशाच मोचन कुंड अत्यंत पवित्र और फलदायी स्थल माना गया है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार से पितृ दोष के प्रभाव दूर होते हैं। यहाँ किया गया पूजन न केवल आत्मिक शांति देता है, बल्कि घर-परिवार में सुख, स्थिरता और सौहार्द भी लाने वाला माना जाता है। इस नगर का महत्व इसलिए भी है, क्योंकि स्वयं भगवान शिव ने इसे मोक्ष प्रदान करने वाली नगरी घोषित किया था। शरद पूर्णिमा इस पितृ पूजा के लिए स्वर्णिम अवसर है।
🔱 काशी का पिशाच मोचन कुंड और अस्सी घाट दोनों ही अत्यंत पवित्र, मोक्षदायी और महत्त्वपूर्ण स्थल हैं। मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड में अनुष्ठानों से पितृदोष और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा का आशीष मिलता है। यह स्थान पूर्वजों की शांति और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है। वहीं, अस्सी घाट वह पावन स्थल है, जहाँ गंगा और अस्सी नदी का संगम होता है। विद्वान मानते हैं कि यहां की गई गंगा आरती से जीवन के पाप नष्ट होते हैं और दिव्य आशीर्वाद मिलता है। दोनों ही स्थान पितृ पूजा और आध्यात्मिक साधना के लिए बड़े माने गए हैं।
🪔 श्री मंदिर के माध्यम से आप घर बैठे काशी के इस दिव्य अनुष्ठान से जुड़कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।