कोजागरी पूजा का दिन हिंदू धर्म के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। सामान्यत: यह अश्विन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ दिन पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को प्रचुर मात्रा में धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। कोजागरी पूजा की पूर्व संध्या को देश के कुछ क्षेत्रों में ‘शरद पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा को करने का सबसे शुभ समय मध्यरात्रि यानि निशित काल का माना गया है। शब्द कोजागरी उस व्यक्ति को दर्शाता है जो रात में जगता रहता है। मान्यता है कि इस दौरान जो भक्त मध्यरात्रि जागरण कर देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं उन्हें माता का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन भक्त देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई अनुष्ठान अपनाते हैं जिनमें लक्ष्मी पंचामृत अभिषेक और कोजागरी लक्ष्मी श्रीसूक्त हवन भी शामिल है। लक्ष्मी पंचामृत अभिषेक देवी को प्रसन्न करने का बेहद ही प्रभावशाली माध्यम है, इस पूजा में देवी लक्ष्मी का पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। पंचामृत, दूध, दही, घी, शहद, और मिश्री को मिलाकर तैयार किया जाता है।
मान्यता है कि पंचामृत अभिषेक से धन-संपदा की प्राप्ति होती है। वहीं श्री-सूक्त संस्कृत में एक प्राचीन वेदमंत्र है, जो देवी लक्ष्मी की स्तुति के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसे ऋग्वेद के एकादश मंडल में पाया जाता है और यह लक्ष्मी देवी की कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। श्री-सूक्तम को ऋषियों ने महालक्ष्मी की महिमा, शक्ति और कृपा को स्तुति रूप में लिखा है। मान्यता है कि श्री-सूक्तम का पाठ या फिर हवन करने से भक्तों को धन, समृद्धि, शांति, सुख, ऐश्वर्य, और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है, और वे माता लक्ष्मी की कृपा से समृद्धि और सफलता की प्राप्ति करते हैं। इसलिए कोजागरी पूर्णिमा के शुभ दिन पर पश्चिम बंगाल में स्थित शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में लक्ष्मी पंचामृत अभिषेक और कोजागरी लक्ष्मी श्री सूक्त हवन का आयोजन किया जा रहा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती का दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जब भगवान शिव उनके शव को लेकर तांडव कर रहे थे। इस कारण, यह स्थल अत्यंत पवित्र 51 शक्तिपीठों में शामिल है। श्री मंदिर के माध्यम से जीवन में समृद्धि और धन के आशीर्वाद के लिए इस पूजा में भाग लें और देवी लक्ष्मी का दिव्य आशीष पाएं।