शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक बहुत खास दिन है। यह साल की सबसे उज्ज्वल पूर्णिमा होती है जब चंद्रमा अपनी पूरी रोशनी और ऊर्जा के साथ पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। मान्यता के अनुसार यह तिथि भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ तिथियों में एक मानी जाती है और मां लक्ष्मी जी इसी दिन पृथ्वी पर उतरकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इस कारण यह दिन भगवान शिव और माँ लक्ष्मी की पूजा-पाठ और साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसी अवसर पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर और मां शक्तिपीठ महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर में विशेष ओंकारेश्वर रुद्राभिषेक एवं महालक्ष्मी रक्षा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में निम्नलिखित अनुष्ठान किया जायेगा:
रुद्राभिषेक: यह भगवान शिव की विशेष पूजा है जिसमें शिवलिंग को जल, दूध, शहद और बेलपत्र से स्नान कराया जाता है और वैदिक मंत्रों का उच्चारण होता है। ओंकारेश्वर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यहां रुद्राभिषेक करने से साधक को नकारात्मक प्रभावों से राहत और आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
महालक्ष्मी रक्षा यज्ञ: यह यज्ञ मां लक्ष्मी की आराधना का एक प्रमुख विधान है। इसे सुरक्षा और समृद्धि के लिए किया जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुईं और वे धन, अन्न, सौभाग्य और वैभव की दात्री मानी जाती हैं। रक्षा यज्ञ के माध्यम से उनकी कृपा से साधक के जीवन में सकारात्मकता और स्थिरता आती है।
इस अनुष्ठान का उद्देश्य साधक को स्वास्थ्य, सुरक्षा और समृद्धि का अनुभव कराना है। शरद पूर्णिमा की इस खास रात को भगवान शिव और मां लक्ष्मी दोनों की संयुक्त साधना साधक को न केवल मानसिक शांति देती है बल्कि आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है।
आप भी इस पावन अवसर पर आयोजित इस विशेष अनुष्ठान का हिस्सा बनकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं और अपने जीवन में संतुलन, सुरक्षा और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।