हिंदू धर्म में भगवान शिव को शीघ्र प्रसन्न होने वाला देवता माना गया है। भोलेनाथ की पूजा कई प्रकार से की जाती है, जिसमें पार्थेश्वर पूजन एवं रुद्राभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। वेद पुराणों में पार्थिव शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। शिव पुराण के अनुसार, पार्थेश्वर पूजन करने वाले भक्तों पर सदैव शिव जी की कृपा बनी रहती है। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से धन, धान्य, आरोग्य एवं पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव का पार्थिव पूजन सबसे पहले भगवान राम ने किया था। भगवान श्री राम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव के पार्थिव शिवलिंग की पूजा की थी। कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था। जिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही है। यही कारण है कि जो भी भक्त पार्थिव शिवलिंग की पूजा करता है उसके जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी बाधाएं दूर हो जाती हैं। पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिव साधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है और वह सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है।
नर्मदा नदी के बीच श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एवं गोदावरी नदी के तट पर स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। भगवान शिव यहाँ स्वयंभू रूप में विराजमान हैं। श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में पार्थेश्वर पूजन करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है वहीं त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक कराने से आर्थिक स्थिरता और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए, श्री मंदिर के माध्यम से पार्थेश्वर पूजन के साथ त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में रुद्राभिषेक कराने के लिए अपने पूजा पैकेज में इस ऑप्शन को जोड़ें और पार्थेश्वर पूजन एवं रुद्राभिषेक के माध्यम से शिव जी को प्रसन्न करने से हर असंभव कार्य को भी संभव करने की शक्ति का आशीष पाएं।