कई बार हम अपने सभी काम ठीक से करते हैं, फिर भी मन में एक अदृश्य डर, बदकिस्मती या अचानक घेर लेने वाले तनाव का बोझ महसूस होने लगता है। जब रुकावटें सामने दिखाई नहीं देतीं तो अक्सर उनका कारण गहरी आध्यात्मिक बाधाएँ, किसी व्यक्ति की बुरी नीयत, या नकारात्मक ऊर्जाएँ हो सकती हैं। ऐसी अदृश्य शक्तियाँ हमारे स्वास्थ्य, प्रगति और मानसिक शांति को गहराई से प्रभावित कर देती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इन बंधनों को पूरी तरह से दूर करने के लिए दिव्य उग्र शक्ति का आह्वान आवश्यक होता है।
यह विशेष महायज्ञ भगवान काल भैरव और दस महाविद्याओं के संयुक्त आशीर्वाद को आमंत्रित करता है।
काल भैरव, शिव के उग्र स्वरूप हैं, जो समय के स्वामी हैं और हर प्रकार के अन्याय और बाधा का नाश करते हैं। माता महाकाली, दस महाविद्याओं में प्रथम और सबसे शक्तिशाली रूप हैं, जो तुरंत बुराई, डर और नकारात्मकता को समाप्त कर देती हैं।
मान्यता है कि जब भक्त बड़े संकट में फँस जाता है, तब ये दोनों दिव्य शक्तियाँ साथ प्रकट होकर उसके रास्ते की हर बाधा हटाती हैं। प्राचीन काल में जब दुष्ट शक्तियों से धर्म की रक्षा करनी होती थी, तब इसी संयुक्त शक्ति से एक दिव्य रक्षा कवच रचा जाता था — जिसे कोई भी नकारात्मक शक्ति भेद नहीं सकती थी।
यह तांत्रोक्त रक्षा कवच महायज्ञ, निशीथ काल (मध्यरात्रि के सबसे पवित्र समय) में मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी पर किया जाता है, जब आध्यात्मिक ऊर्जा सबसे प्रबल होती है।
आदि शक्ति महाकाली 10 महाविद्या सिद्ध पीठ में सम्पन्न यह अनुष्ठान, आचार्यों द्वारा भक्त और देवत्व के बीच एक सीधा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है।
इस यज्ञ में किए गए विशेष आहुतियाँ, दसों महाविद्याओं और भगवान काल भैरव की ऊर्जा को एक शक्तिशाली सुरक्षा कवच के रूप में स्थापित करती हैं, जो आप और आपके परिवार को नकारात्मक शक्तियों से रक्षा प्रदान करता है और जीवन में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने का साहस और शक्ति देता है।
श्री मंदिर के माध्यम से किया जाने वाला यह विशेष महायज्ञ, आपके जीवन में अदृश्य सुरक्षा, शांति और सभी बाधाओं पर विजय का दिव्य आशीर्वाद लेकर आता है।