🧿🔱 सनातन परंपरा में कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित अत्यंत पावन तिथि मानी जाती है। वे धर्म के उग्र रक्षक और अदृश्य भय का नाश करने वाले देवता हैं। वर्ष की अंतिम कालाष्टमी का महत्व और भी गहरा होता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पूरे वर्ष की आध्यात्मिक शुद्धि को पूर्ण करती है और आने वाले नए वर्ष के लिए सुरक्षित तथा हल्की शुरुआत का मार्ग तैयार करती है। इसी शक्तिशाली रात्रि में काशी के पवित्र काल भैरव मंदिर में यह विशेष भैरव अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है, जिसमें मां बगलामुखी और भगवान काल भैरव की संयुक्त दिव्य ऊर्जा का आवाहन होगा। यह केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वर्ष के अंतिम दिनों के लिए एक दुर्लभ आध्यात्मिक कवच है, जो नज़रदोष, नकारात्मक ऊर्जा, ईर्ष्या और वे छिपी रुकावटें दूर करने हेतु किया जा रहा है, जो मन की शांति और जीवन की प्रगति को प्रभावित करती हैं।
🔱 इन देवताओं की शरण क्यों लेनी चाहिए?
भगवान काल भैरव, जिन्हें शिव का उग्र किन्तु करुणामयी रूप माना जाता है, अदृश्य बाधाओं, भय, नकारात्मक शक्तियों और हर प्रकार के अशुभ प्रभाव से अत्यंत शक्तिशाली सुरक्षा प्रदान करते हैं। दस महाविद्याओं में से मां बगलामुखी मौन और स्थिरता की अधिष्ठात्री देवी हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी उपासना शत्रु को निरुद्ध करती है, दुर्भावनाओं को निष्प्रभावी करती है और जीवन में भीतरी तथा बाहरी स्थिरता प्रदान करती है। काशी जैसे दिव्य ऊर्जा-स्थल में इन दोनों की संयुक्त साधना के परिणाम कई गुना अधिक प्रभावी माने जाते हैं।
ईर्ष्या, बुरी नज़र और नकारात्मक ध्यान जीवन में सूक्ष्म किन्तु गहरे अवरोध पैदा करते हैं। ऐसा देखा जाता है कि इनके कारण आर्थिक रुकावटें, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ, संबंधों में तनाव और बार बार करियर बाधाएं उत्पन्न होती हैं। इन प्रभावों को शांत करने के लिए इस अनुष्ठान में विशेष नज़र दोष शांति पूजा और हवन शामिल है, जिससे त्वरित राहत प्राप्त होने का विश्वास है। काशी के काल भैरव मंदिर में इस अनुष्ठान को शास्त्र और विशेष साधना में निपुण विद्वान ब्राह्मणों द्वारा संपन्न कराया जाएगा, जो इसे और भी दुर्लभ और शक्ति-संपन्न बनाता है।
🔱 इस भैरव विशेष में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और बुरी नज़र तथा शत्रु-बाधाओं से दिव्य संरक्षण प्राप्त करें। भगवान श्री काल भैरव और मां बगलामुखी की कृपा से शांति, शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद पाएं।