शारदीय नवरात्रि हिंदू परंपरा का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह समय जीवन में पवित्रता, सकारात्मकता और अनुशासन लाने का भी माना जाता है। परंपरा के अनुसार, नवरात्रि के पहले तीन दिन माँ काली को समर्पित होते हैं, जो जीवन से नकारात्मकता और बाधाएँ दूर करती हैं। बीच के तीन दिन माँ लक्ष्मी को समर्पित होते हैं, जिनसे सुख-समृद्धि और संतुलन की प्रार्थना की जाती है। अंतिम तीन दिन माँ सरस्वती की पूजा के लिए माने जाते हैं, जो ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती हैं।
शास्त्रों में माँ सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। जब देवताओं को वेदों का ज्ञान समझने में कठिनाई हुई, तब उन्होंने माँ सरस्वती की आराधना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ सरस्वती प्रकट हुईं और उन्हें ज्ञान का वरदान दिया। 21,000 सरस्वती मूल मंत्र जाप केवल एक मंत्र उच्चारण नहीं है, बल्कि यह माँ सरस्वती की ऊर्जा से जुड़ने का दिव्य साधन है, जिससे शिक्षा में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और बुद्धि में स्पष्टता आती है।
🌸 इस विशेष त्रिदिन अनुष्ठान में सम्मिलित पूजन
यह अनुष्ठान मेधा सूक्तम पाठ से प्रारंभ होता है, जिसे स्मृति और बुद्धि वृद्धि के लिए विशेष माना गया है। इसके साथ श्री सूक्त हवन किया जाता है, जो सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति हेतु अत्यंत शुभकर्म है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में माँ सरस्वती की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। यह अनुष्ठान विद्यार्थियों के लिए शिक्षा सफलता का मार्ग खोलने और साधकों के लिए आंतरिक शांति एवं ज्ञान प्राप्ति का माध्यम बनता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजन आपके जीवन में उच्च ज्ञान और शैक्षणिक सफलता की प्रार्थना का अवसर है।