माँ की कृपा से अपने जीवन में सकारात्मकता और शुभ ऊर्जा का स्वागत करें 🌺🕉️
नवरात्रि की दुर्गाष्टमी तिथि को अत्यंत शुभ और प्रभावशाली दिन माना गया है। यह वह क्षण है जब माँ दुर्गा की दिव्य शक्तियाँ विशेष रूप से जागृत होती हैं और साधक के जीवन से नकारात्मकता, भय और विघ्नों का नाश करती हैं। अक्सर जीवन में भी ऐसा समय आता है जब परिवार में कलह बढ़ने लगता है, अनदेखी रुकावटें सामने आ खड़ी होती हैं और मनुष्य का आत्मबल कमज़ोर पड़ने लगता है। ऐसे समय में देवी आदिशक्ति की शरण ही वह सहारा है जो सब कुछ बदल सकती है। इसी संदर्भ में दुर्गाष्टमी पर माँ विंध्यवासिनी की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है।
माँ विंध्यवासिनी को सनातन परंपरा में सर्वशक्ति स्वरूपा कहा गया है। वे पालन करने वाली मातृ शक्ति भी हैं और साधक की रक्षा करने वाली दैवी शक्ति भी। उनकी उपासना से आत्मविश्वास बढ़ता है, परिवार पर संकट टलते हैं और साधक को समृद्धि तथा आंतरिक बल प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि दुर्गाष्टमी के दिन उनका दिव्य स्वरूप जागृत होकर शीघ्र ही भक्तों की प्रार्थना स्वीकार करता है और साधक के जीवन को शुभता से भर देता है। इसीलिए नवरात्रि की दुर्गाष्टमी तिथि पर शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी देवी मंदिर में 11,000 विंध्यवासिनी मूल मंत्र जाप एवं विंध्यवासिनी अष्टमी अष्ट शक्ति यज्ञ का आयोजन रखा गया है।
माना जाता है कि देवी के मूल मंत्रों की दिव्य ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है और साधक के जीवन से नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक होती है। अष्ट शक्ति यज्ञ के माध्यम से देवी की आठ स्वरूप शक्तियों का आह्वान किया जाता है, जिससे साधक के भीतर साहस, स्थिरता और आंतरिक बल का संचार होता है। भक्तों की श्रद्धा है कि दुर्गाष्टमी के दिन शक्तिपीठ में किया गया पूजन माँ की कृपा प्राप्त करने का एक गहन माध्यम बनता है।
आप भी श्री मंदिर के द्वारा इस पावन अनुष्ठान से जुड़कर अपनी आस्था अर्पित कर सकते हैं। यह क्षण केवल साधना का नहीं, बल्कि अपने घर-परिवार के लिए सकारात्मकता, शांति और सामंजस्य की मंगल कामना करने का अवसर है। 🙏🌺