मानसिक स्थिरता, चिंता एवं डिप्रेशन पर नियंत्रण के लिए गुप्त नवरात्रि द्वितीया विशेष मां काली सहस्रनाम पाठ एवं काली कर्पूर स्तोत्रम
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गुप्त नवरात्रि द्वितीया विशेष

मां काली सहस्रनाम पाठ एवं काली कर्पूर स्तोत्रम

मानसिक स्थिरता, चिंता एवं डिप्रेशन पर नियंत्रण के लिए
temple venue
श्री गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
pooja date
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मानसिक स्थिरता, चिंता एवं डिप्रेशन पर नियंत्रण के लिए गुप्त नवरात्रि द्वितीया विशेष मां काली सहस्रनाम पाठ एवं काली कर्पूर स्तोत्रम

शास्त्रों के अनुसार जिस तरह नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना का विधान माना गया है। इन दिनों में तंत्र साधनाओं का अत्यधिक महत्त्व होता है और इन्हें अत्यंत गुप्त रूप से किया जाता है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। तंत्र मार्ग में माँ काली बहुत महत्वपूर्ण देवी मानी जाती हैं। कहते हैं गुप्त नवरात्रि में माँ काली को विशेष पूजा कर प्रसन्न करने से उनसे चिंता और डिप्रेशन जैसे नकारात्मकताओं से मुक्ति का आशीर्वाद पाया जा सकता है। माँ काली की पूजा के लिए वैसे तो कई प्रमुख स्थान हैं लेकिन उज्जैन का गढ़कालिका मंदिर सबसे प्रसिद्द है। कहते हैं इस मंदिर में पूजा अर्चना करके कालिदास ने माँ काली को प्रसन्न कर खूब ख्याति पाई थी।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में माँ काली को प्रसन्न करने के लिए भगवान सदाशिव द्वारा परशुरामजी को ‘कालिका सहस्रनाम’ बताया गया है जो पूरी तरह सिद्ध माना जाता है। आगे भगवान सदाशिव परशुरामजी को बताते हैं कि इसका पाठ करने से व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है जिससे उसके सभी काम आसानी से पूरे हो सकते हैं और उसके सौभाग्य का भी उदय हो सकता है। माँ काली का आशीर्वाद पाने के लिए काली कर्पूर स्तोत्रम् का भी बहुत महत्त्व है। यह स्तोत्र महाकाल द्वारा रचित है, इसके पाठ से व्यक्ति को निर्भय, साहस एवं वीरता का आशीष प्राप्त होता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान उज्जैन में विराजित श्री गढ़कालिका मंदिर में मां काली शहस्रनाम पाठ एवं काली कर्पूर स्तोत्रम करने से मानसिक स्थिरता, चिंता एवं डिप्रेशन पर नियंत्रण के साथ नकारात्मकता से मुक्ति का आशीष मिलता है।

श्री गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश

श्री गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश
धार्मिक नगरी उज्जैन में शिव के साथ शक्तियां भी विराजमान है। इसी उज्जैन में महाकवि कालिदास की आराध्य देवी गढ़कालिका का भी मंदिर है। वैसे तो गढ़ कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। यही कारण है कि हर साल दूर दराज से हजारों लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं, माना जाता है कि यहां पूजा करने वाले भक्तों की सारी मन्नतें पूरी होती है।

प्रचलित कथाओं के अनुसार, जब से महान कवि कालिदास इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे तभी से उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण होने लगा। कालिदास रचित 'श्यामला दंडक' महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है। ऐसा कहा जाता है कि महाकवि कालिदास के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था। गढ़ गांव के पास स्थित होने के कारण इस मंदिर का नाम गढ़कालिका मंदिर पड़ा। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर में माता की मूर्ति सतयुग काल के समय की है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण 7वीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन ने कराया था। वहीं इस मंदिर में प्रसिद्ध हिंदू देवी-देवताओं की अन्य मूर्तियाँ भी स्थापित की गई हैं।

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