सभी नौ ग्रहों को शांत करने के लिए एक शक्तिशाली पूजा - हर राशि के लिए 🙏✨🪐
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब ग्रह अनुकूल होते हैं तो जीवन में शांति, सफलता और सुख-समृद्धि आती है, लेकिन प्रतिकूल ग्रह आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, बीमारी और कामों में रुकावट का कारण बन सकते हैं। शनि की साढ़ेसाती, मंगल दोष या राहु-केतु दोष जैसी स्थितियाँ अक्सर जीवन में निरंतर कठिनाइयाँ और बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
इन ग्रह संबंधी कष्टों को शांत करने के लिए शास्त्रों में नवग्रह शांति पूजा और शनि तिल-तेल अभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। विशेषकर शनिवार को, जो शनि देव को समर्पित दिन है। इस बार यह पूजन और भी विशेष है क्योंकि यह शुक्ल पक्ष द्वादशी (4 अक्टूबर 2025, शनिवार) को प्रदोष काल में संपन्न होगा, जो शिव उपासना और ग्रह शांति के लिए अत्यंत पवित्र समय माना जाता है।
📿 क्यों विशेष है यह पूजा?
कर्म फल दाता भगवान शनि देव को नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली माना गया है और मान्यता के अनुसार शनि देव मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करने से, विशेषकर भगवान शिव के साथ रुद्राभिषेक करने से, ग्रह दोष कम होते हैं, ग्रहों का संतुलन स्थापित होता है और जीवन में स्थिरता आती है। प्रदोष काल, जो भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है, रुद्राभिषेक करने और कर्म बंधनों से मुक्ति के लिए उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शुभ समय माना जाता है।
यह विशेष पूजन उज्जैन स्थित पवित्र श्री नवग्रह शनि मंदिर में होगा। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ शनि देव की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। ऐसा स्थान बहुत दुर्लभ और शुभ माना गया है। यहाँ पूजन करने से भक्तों को भगवान शनि और भगवान शिव दोनों का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त होता है।
👉इस पूजा में शामिल होंगे:
🔹 नवग्रह शांति पूजा: नौ ग्रहों के बीच सामंजस्य और जीवन में स्थिरता के लिए
🔹 शनि तिल-तेल अभिषेक: साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए
🔹 प्रदोष शिव रुद्राभिषेक: भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने, ग्रहदोष शांति और मानसिक शांति के लिए
✨ श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में सम्मिलित हों और दिव्य संरक्षण, संतुलन तथा ग्रहदोषों से राहत का आशीर्वाद प्राप्त करें।