🐍 रिश्तों में दरार, बच्चों की अधूरी ख्वाहिशें और घर में लगातार कलेश? ये नाग दोष हो सकता है!
कई बार रिश्तों को ऐसी नज़र लग जाती है कि बात-बात पर झगड़े, कहासुनी और बहस थमने का नाम नहीं लेती. ये दरार इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि पूरा परिवार ही तहस-नहस होने लगता है। परिवार में कलह का असर बड़े-बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चों पर भी पड़ता है। परिजनों को एक के बाद एक बीमारियां घेर लेती हैं और शादी-शुदा जोड़ों की बच्चे की चाहत अधूरी रह जाती है। यदि आपके जीवन में भी ऐसा हो रहा है तो पैतृक नाग दोष इसकी बड़ी वजह हो सकता है। ऐसे दोषों का निवारण यज्ञ साधना से ही संभव है, जो उत्तर प्रदेश के तक्षकेश्वर और कर्नाटक के गोकर्ण में आयोजित की जाती है।
हिंदू धर्म में सावन को महादेव का सबसे प्रिय और पवित्र महीना माना गया है। महादेव, जिनके गले में स्वयं सर्प वास करते हैं, सृष्टि के संहारक तो हैं ही, साथ ही मोक्षदायक और पिछले जन्म के पापों को पुण्य में बदलने वाले देव भी हैं। सावन महीने की पंचमी को देश के कई हिस्सों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में नाग पंचमी का दिन पैतृक सर्प कर्म और नाग दोषों से राहत के अनुष्ठानों के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस तिथि पर प्रयागराज के तक्षकेश्वर मंदिर और गोकर्ण तीर्थ क्षेत्र में पैतृक नाग दोष निवारण से जुड़े अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे भक्तों को रिश्तों में मधुरता, परिवार में खुशहाली और पैतृक बाधाओं से राहत का आशीर्वाद मिलता है।
परिवार में नाग दोषों के असर को शांत करने के लिए सावन की पंचमी तिथि पर एक प्रार्थना यज्ञ का आयोजन होगा, जो पौराणिक आध्यात्मिक विधियों में से एक है। इन अनुष्ठानों में शामिल है:
तक्षकेश्वर में नाग बलि और दीपदान: यह अनुष्ठान नाग दोषों के निवारण की दिशा में क्षमा और पैतृक उपचार के लिए प्रार्थना की जाएगी।
गोकर्ण में सर्प शांति अनुष्ठान: सावन और शिव की ऊर्जा के साथ होने वाली यह आराधना भक्तों को नाग दोषों से राहत दिलाने में सक्षम मानी गई है।
संयुक्त संकल्प और मंत्र क्रिया: विवाह में देरी, रिश्तों में कलह, संतान की अधूरी ख्वाहिश जैसी बाधाओं के लिए नाग मंत्र जाप - 11,000 वासुकि पाठ किया जाएगा।
🐍 तक्षक नाग से जुड़ी प्राचीन कथा:
एक बार राजा परीक्षित जंगल में शिकार करने गए थे। वहां उन्हें शमीक ऋषि दिखे, जो मौन अवस्था में बैठे थे। परीक्षित ने उनसे बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इससे राजा परीक्षित नाराज़ हुए और एक मरा हुआ सांप उनके गले में डालकर चले गए। क्रोधित ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि सातवें दिन नाग तक्षक के डसने से परीक्षित की मौत हो जाएगी। श्राप सही साबित हुआ, लेकिन तक्षक नाग की जान बच गई। जिस दिन जान बची, वह पंचमी का दिन था, जिसे नाग पंचमी के रूप में जाना गया।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से नाग दोष से राहत दिलाने वाले इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लें और परिवार में पैतृक सर्प दोष जैसी बाधाओं से राहत का आशीर्वाद पाएं।