सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। 'नव' का अर्थ है 'नौ' और 'रात्रि' का अर्थ है 'रात', अर्थात् नौ रातों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। नवरात्रि में देवी दुर्गा के अलावा 10 महाविद्याओं की पूजा का भी विधान है। नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दुर्गाष्टमी को महाअष्टमी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दस महाविद्या भी देवी दुर्गा का ही स्वरूप एवं सभी सिद्धियों की दाता है। इनमें से, आठवीं महाविद्या है माँ बगलामुखी, जिनकी पूजा शत्रुओं के विनाश के लिए की जाती है। मान्यता है कि माँ बगलामुखी की पूजा से बड़ी से बड़ी विपत्तियों और शत्रुओं से होने वाले खतरे को टाला जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार, माँ बगलामुखी की विशेष पूजा शत्रुओं पर विजय, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा और न्यायालय के मामलों में विजय प्रदान करा सकती है। वहीं देवी प्रत्यांगिरा आदिशक्ति का एक शक्तिशाली रूप हैं, जिन्हें सभी विनाशकारी शक्तियों द्वारा किए गए हमलों को दूर करने और नकारात्मक शक्तियों के कारण होने वाले प्रभावों से बचाने के लिए जाना जाता है।
इसी कारणवश भक्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के साथ मां बगलामुखी और मां प्रत्यांगिरा का आशीष पाने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते है, जिनमें से एक है बगलामुखी-प्रत्यांगिरा कवच पाठ। यह कवच पाठ एक शक्तिशाली मंत्रों का संग्रह है जो माँ बगलामुखी और माँ प्रत्यांगिरा के आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्राचीन शास्त्रों में भी इन मंत्रों का वर्णन मिलता है। माना जाता है कि इस कवच का पाठ करने से भक्त को दुश्मनों के विरुद्ध शक्ति, साहस और सुरक्षा मिलती है। यदि इस कवच के पाठ के साथ 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र का जाप और हवन किया जाए तो यह अनुष्ठान कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है। इसलिए नवरात्रि दुर्गाष्टमी पर हरिद्वार के सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में बगलामुखी-प्रत्यांगिरा कवच पाठ: 1,25,000 बगलामुखी मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। बुरी शक्तियों एवं नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति एवं दैवीय सुरक्षा के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें।