😔 क्या आपको लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति आपके परिवार की खुशियों में बाधा डाल रही है? पितृ पक्ष में होने वाला दुर्लभ संयोग ‘मेघा नक्षत्र’ पितृ आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मेघा नक्षत्र (जिसे मघा भी कहा जाता है) का पितरों से सीधा संबंध माना गया है। इसे ‘पितरों का नक्षत्र’ कहा जाता है क्योंकि यह हमारे और पितृ लोक के बीच एक दिव्य सेतु का कार्य करता है। ऐसा माना जाता है कि इस नक्षत्र के समय किए गए श्राद्ध और प्रार्थनाएँ सीधे पितरों तक पहुँचती हैं। हिंदू परंपरा में पितृ पक्ष के पंद्रह दिनों में पितरों को स्मरण और तर्पण अर्पित किया जाता है। महाभारत के कर्ण की कथा इसका एक सुंदर उदाहरण है। कहा जाता है कि मृत्यु के बाद कर्ण को पुनः पृथ्वी पर भेजा गया ताकि वह पितरों को भोजन और जल अर्पित कर सके क्योंकि उसने जीवनकाल में यह कर्तव्य नहीं निभाया था। इस कथा से पितरों को सम्मान और श्रद्धा अर्पित करने का महत्व स्पष्ट होता है।
इस वर्ष एक अद्भुत संयोग बन रहा है। पितृ नक्षत्र स्वयं पितृ पक्ष में उदित हो रहा है। इस दिव्य संयोग में की गई प्रार्थनाएँ और अर्पण विशेष प्रभावशाली माने जाते हैं। इसी पावन अवसर पर कर्नाटक के पवित्र स्थल ‘गोकर्ण क्षेत्र’ में मेघा नक्षत्र पितृ शांति पूजा का आयोजन हो रहा है। इसे ‘दक्षिण काशी’ भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ किए गए श्राद्ध और तर्पण, काशी में किए गए अनुष्ठानों के समान प्रभावशाली माने जाते हैं। इस दिन यहाँ की गई पूजा को पितृ लोक तक सीधा पहुँचने वाला माना जाता है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति और संतोष मिलता है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस दुर्लभ संयोग पर हो रही विशेष पूजा में भाग लें और अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।
इसी के साथ यदि आपको अपने किसी दिवंगत-पूर्वज की तिथि याद नहीं तो महालया (सर्वपितृ) अमावस्या पर हो रहे अनुष्ठानों में भाग लेकर पुण्य के भागी बनें।