यह जीवन कभी-कभी गहरे और उथल-पुथल भरे महासागर जैसा लगता है, जहाँ हर लहर अनिश्चित और हर दिशा अनजान होती है। परिस्थितियाँ अचानक बिगड़ जाती हैं—कभी धन का नुकसान, कभी रिश्तों में अस्थिरता, तो कभी स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियाँ। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार, हमारे वर्तमान और पिछले जन्मों के कर्म हमारे जीवन का संतुलन तय करते हैं। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो जीवन में अव्यवस्था और कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं। इस पवित्र मत्स्य द्वादशी पर हम भगवान मत्स्य देव की कृपा की शरण लेते हैं, जो सृष्टि के रक्षक माने जाते हैं।
पुराणों के अनुसार, जब महाप्रलय ने पूरी सृष्टि को डूबोने की धमकी दी, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर राजा सत्यव्रत, सप्तऋषियों और जीवन के सभी बीजों को सुरक्षित मार्ग दिखाया। उन्होंने पूरी सृष्टि की नाव को भयंकर जल में मार्गदर्शन दिया और वेदों तथा जीवन की रक्षा की। यह कथा बताती है कि मत्स्य देव पूर्ण विनाश को रोकने वाले और व्यवस्था लौटाने वाले सर्वोच्च रक्षक हैं।
इस द्वादशी पर किए जाने वाले मत्स्य अवतार पूजा और सुदर्शन हवन का उद्देश्य इसी दिव्य सुरक्षा शक्ति को जीवन में बुलाना है। सुदर्शन हवन भगवान विष्णु के दिव्य चक्र की शक्ति को सक्रिय करता है, जो नकारात्मकता, बाधाओं और बुरी शक्तियों का नाश करता है। श्री मंदिर द्वारा मथुरा के दीर्घ विष्णु मंदिर में यह पूजा करवाना आपके जीवन में एक “कर्मिक रीसेट” जैसा है, भगवान मत्स्य देव से प्रार्थना कि वे आपके जीवन की नाव को हर संकट से पार ले जाएँ और परिवार, समृद्धि और शांति की रक्षा करें।
यह विशेष पूजा आपके जीवन में दिव्य सुरक्षा, शांति और उपचारकारी आशीर्वाद लेकर आती है।