🙏 सनातन धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव के उग्र स्वरूप, भगवान काल भैरव को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन श्री काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। काल भैरव को समय (काल) का स्वामी और भय को दूर करने वाले देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इस तिथि पर निशित काल में उनकी पूजा करने से साहस, शक्ति और दिव्य सुरक्षा के रास्ते खुल सकते हैं।
🙏 प्राचीन कथाओं में आता है कि जब भगवान शिव ने 51 शक्ति पीठों की स्थापना की, तब असुरों ने इन पवित्र स्थानों को नष्ट करने का प्रयास किया। इन शक्तिपीठों की रक्षा का उत्तरदायित्व भगवान शिव ने अपने उग्र स्वरूप भगवान काल भैरव को दिया। इसी कारण माना जाता है कि हर शक्ति पीठ की रक्षा अलग-अलग भैरव स्वरूप करते हैं। मां काली दस महाविद्याओं में प्रमुख हैं और काल भैरव दसों भैरवों में प्रथम माने जाते हैं। मां काली और काल भैरव का संबंध शक्ति और समय के दिव्य मिलन का प्रतीक है—जहाँ मां काली शक्ति हैं और काल भैरव समय के स्वामी। दोनों मिलकर रक्षा, संतुलन और भय-निवारण की शक्ति प्रदान कर सकते हैं।
🙏 इसी महत्व के साथ श्री काल भैरव जयंती के पावन अवसर पर:
श्री महाकाली-काल भैरव संयुक्त तंत्रोक्त बीज मंत्र महायज्ञ श्री कालीघाट शक्ति पीठ (पश्चिम बंगाल) और विक्रांत भैरव मंदिर (उज्जैन) में संपन्न होगा। कलिघाट शक्तिपीठ वह स्थान है, जहाँ मां सती का दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था और यह मां काली की उपासना का अत्यंत शक्तिशाली स्थान माना गया है। वहीं, श्री विक्रांत भैरव मंदिर काल भैरव की आराधना का प्रसिद्ध और सिद्ध स्थल है। ये दोनों स्थान और श्री काल भैरव जयंती, इस अनुष्ठान के महत्व को कई गुना फलदायी बना देते हैं।
🙏 आप इस महायज्ञ में श्री मंदिर के माध्यम से घर बैठे शामिल हो सकते हैं और भय से रक्षा, शक्ति, सुरक्षा और दिव्य कृपा का आशीर्वाद पा सकते हैं।