माघ का महीना आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, इसे भव्य कुंभ मेले के साथ जोड़कर मनाया जाता है और इस दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों के लाभों को बढ़ाने वाली ब्रह्मांडीय ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलता है। कुंभ मेला, एक पूजनीय समागम है, जिसकी जड़ें समुद्र मंथन की प्राचीन कथा में मिलती हैं, जिसका वर्णन विष्णु पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण दोनों में किया गया है। दरअसल, महान ऋषि दुर्वासा ने एक बार तीनों लोकों को श्राप दिया था, जिससे समृद्धि गायब हो गई और परिणामस्वरूप, देवी लक्ष्मी के आठ रूप क्षीर सागर की गहराई में समा गए। समृद्धि को वापस लाने और अमृत को पुनः प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को समुद्र मंथन करने के लिए राजी किया। वर्षों के मंथन के बाद, समुद्र से चौदह अमूल्य खजाने निकले, जिनमें एक भगवान धन्वंतरि भी थे, जो अमृत कलश लिए प्रकट हुए। हालांकि उन्हें उस समय वो दिव्य दर्जा नहीं दिया गया, लेकिन यह वचन मिला कि दूसरे द्वापर युग में, वह पृथ्वी पर एक शाही वंश में जन्म लेंगे, जहाँ वह आयुर्वेद के ज्ञान का प्रचार करेंगे। वो तीनों लोकों में स्वास्थ्य और कल्याण प्रदान करने वाले देवता के रूप में पूजनीय हो गए।
माघ के दौरान ब्रह्मांडीय संरेखण समुद्र मंथन की कथा में वर्णित गहन ऊर्जाओं को दर्शाता है, जो इसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक बेहतरीन समय माना जाता है। इसलिए माना जाता है कि माघ के प्रारम्भ में भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और बीमारियों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस समय किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठानों में से धन्वंतरि हवन का विशेष महत्व है। इस पवित्र अग्नि अनुष्ठान में भगवान धन्वंतरि को समर्पित मंत्रों का जाप किया जाता है। वहीं, महामृत्युंजय मंत्र, जो अपनी अपार आध्यात्मिक और उपचारात्मक ऊर्जा के लिए जाना जाता है, यह दीर्घायु और बीमारियों से सुरक्षा के लिए भगवान शिव की कृपा का आह्वान करता है। इसलिए, माघ महीने के आरंभ में काशी में 11,000 महामृत्युंजय मंत्र जाप और धन्वंतरि यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इसमें भाग लेने से अत्यधिक लाभ मिलता है, क्योंकि यह वह समय होता है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जाएँ उपचार और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाने के लिए संरेखित होती हैं। अच्छे स्वास्थ्य और तनाव मुक्त जीवन के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिव्य अवसर का लाभ उठाएँ।