😔 क्या आपको चिंता है कि आपके कुछ पितृ अभी शांति में नहीं हैं? यह विशेष पूजा आपके परिवार की समस्त दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए की जाती है।
महालय अमावस्या, जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने सभी पितरों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं, विशेषकर उनके लिए जिनकी मृत्यु तिथि हमें ज्ञात नहीं है। परंपराओं में कहा गया है कि इस दिन पितृ लोक के द्वार पूरी तरह खुले रहते हैं और किए गए अनुष्ठान सीधे उन तक पहुँचते हैं। काशी नगरी में स्थित पिशाच मोचन कुंड इन कर्मकांडों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसके नाम का अर्थ ही है “अशांत आत्माओं की मुक्ति का कुंड”। ऐसा विश्वास है कि यहीं पर भगवान शिव ने एक व्यक्ति को पिशाच आत्मा से शांति दिलाई थी। तभी से पीढ़ियों से लोग यहाँ अपने उन पितरों के लिए श्राद्ध करते आ रहे हैं जिनकी मृत्यु अकाल या कष्टपूर्ण परिस्थितियों में हुई हो, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके।
महालय अमावस्या के इस पवित्र दिन पर पिशाच मोचन कुंड में श्राद्ध करना अत्यंत फलदायी माना गया है। श्राद्ध विधि में किए जाने वाले पिंड दान (चावल के गोलों का अर्पण) से पितरों की भूख-प्यास शांत होती है और उन्हें अपनी आगे की यात्रा के लिए ऊर्जा मिलती है। श्राद्ध के बाद गंगा नदी के तट पर भव्य महाआरती होती है। इस आरती के दीपक का प्रकाश केवल सुंदर दृश्य ही नहीं बल्कि प्रार्थना का प्रतीक भी है। यह पूजा हमारे पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का एक माध्यम है। यह उनके अंतिम कल्याण के लिए प्रार्थना है और उनके आशीर्वाद को अपने और अपने परिवार के जीवन में आमंत्रित करने का अवसर है, ताकि अतीत, वर्तमान और भविष्य – तीनों में शांति का चक्र बना रहे।
महालया अमावस्या के पावन अवसर पर श्री मंदिर में इस विशेष पूजा में शामिल हों। अपने पूर्वजों को परम शांति और अपने परिवार की खुशहाली के लिए उनका हार्दिक आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु काशी में प्रार्थना करें।