💫 पितृ पक्ष के आखिरी दिन 11 हजार शिव अघोर मंत्र जाप की शक्ति का अनुभव करें 🍃
हिंदू धर्म में महालया अमावस्या पर पितृ दोष शांति पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा शांति और आशीर्वाद पाने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। 100 साल बाद ऐसा ख़ास योग आया है, जब पितृ पक्ष की शुरुआत और समापन, दोनों ग्रहण के साथ हो रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार, पितृ दोष परिवार में विवाद, आर्थिक संकट और मानसिक अशांति का कारण बन सकता है। इस दिन विधिपूर्वक की गई पितृ दोष शांति पूजा और 11 हजार शिव अघोर मंत्र जाप से पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में पारिवारिक सामंजस्य और मानसिक शांति बढ़ सकती है। जब यह अनुष्ठान नर्मदा तट पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लंग में किया जाएगा तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
🛕 ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हिंदू पुराणों में वर्णित है, जिसमें भगवान शिव के ‘ओंकार’ रूप की महिमा का बखान किया गया है। कथा के अनुसार, एक समय राक्षसों ने देवताओं के साथ अत्याचार किया, जिससे देवता परेशान हो गए। तब भगवान शिव ने ओंकारेश्वर में एक दिव्य रूप में अवतार लिया और राक्षसों का वध किया। इस स्थान पर शिव ने ओंकार ध्वनि से अपने अस्तित्व का प्रत्यक्ष रूप में उद्घाटन किया, जो सृष्टि के आदिस्वरूप का प्रतीक है। ओंकारेश्वर के दर्शन और यहां 11 हजार अघोर मंत्र जाप जैसे अनुष्ठान कराने से भक्तों को जीवन में आत्मबल और अटूट साहस मिल सकता है।
🔥श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन नर्मदा तट पर पितृ दोष शांति पूजा का बड़ा महत्व है। पवित्र नर्मदा नदी को शास्त्रों में मोक्षदायिनी कहा गया है, जहां किए गए श्राद्ध, तर्पण और पितृ शांति अनुष्ठान अत्यंत फलदायी माने जाते हैं। मान्यता है कि नर्मदा तट पर की गई यह पूजा पूर्वजों की आत्मा को तृप्त कर उन्हें मोक्ष प्रदान करती है। पितृ दोष के कारण जीवन में आने वाली बाधाएँ, पारिवारिक कलह, आर्थिक संकट और मानसिक अशांति दूर करने के लिए यह अनुष्ठान विशेष रूप से लाभकारी माना गाय है। श्रद्धा और विधि से की गई यह पूजा पूर्वजों का आशीर्वाद दिलाकर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति ला सकती है।
📿इस अनुष्ठान में पितृ शांति पूजा के साथ 11 हजार शिव अघोर मंत्र का जाप किया जाएगा। इस मंत्र की शक्ति अद्भुत और दिव्य मानी गई है। यह जाप नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि के द्वार खोल सकता है।
🪙 इन्हीं महत्व को ध्याम में रखते हुए श्री मंदिर द्वारा पितृ पक्ष के अंतिम दिन नर्मदा तट और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में यह अनुष्ठान कराया जा रहा है। इस स्वर्णिम अवसर को हाथ से न जाने दें!