वर्ष 2026 की पहली कालाष्टमी पर भक्तों को भगवान काल भैरव की उग्र और दिव्य संरक्षण शक्ति का आह्वान करने का दुर्लभ अवसर प्राप्त होता है। सनातन धर्म में कालाष्टमी को भगवान शिव के रक्षक स्वरूप भैरव को समर्पित अत्यंत प्रभावशाली रात्रि माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस पावन तिथि पर भगवान काल भैरव की रक्षा ऊर्जा अपने सर्वोच्च स्तर पर होती है, जिससे साधक अदृश्य संकटों, छिपे शत्रुओं और आंतरिक भय से मुक्त होने की शक्ति प्राप्त करता है।
अक्सर जीवन में यह देखा जाता है कि पूर्ण प्रयासों के बावजूद व्यक्ति अनजानी परेशानियों में फँसा रहता है। कभी यह बुरी दृष्टि, कभी ईर्ष्या, तो कभी नकारात्मक शक्तियों के कारण भय और प्रगति में अवरोध उत्पन्न होता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसे कष्ट निम्न ऊर्जाओं या कर्मजन्य असंतुलन के कारण उत्पन्न होते हैं, जो लंबे समय तक जीवन में बने रहते हैं। कालाष्टमी वह दिव्य अवसर प्रदान करती है, जब इन अदृश्य बंधनों को समाप्त किया जा सकता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि माँ महाकाली का प्राकट्य अत्यंत गहरे और जटिल अधर्म के नाश के लिए हुआ था। रक्तबीज असुर के साथ युद्ध में उसके रक्त की प्रत्येक बूँद से नए असुर उत्पन्न होते थे। माँ महाकाली ने अपनी उग्र शक्ति से रक्त की हर बूँद को पृथ्वी पर गिरने से पहले ही ग्रहण कर लिया और समस्या को उसके मूल से समाप्त कर दिया। इसी प्रकार भगवान श्री काल भैरव, भगवान शिव का वह शक्तिशाली स्वरूप हैं, जो मानव अहंकार के सबसे बड़े अवरोध को काटते हैं। वे भक्तों के रक्षक और सभी शत्रुओं का संहार करने वाले माने जाते हैं, इसलिए अदृश्य नकारात्मकता को दूर करने में उन्हें सर्वोच्च दिव्य सहायक माना जाता है।
इस दिव्य अनुष्ठान के प्रमुख विधान
कालाष्टमी भगवान भैरव का पावन दिवस है। इस दिन कालीघाट में माँ काली के साथ भगवान भैरव की उपासना करने से तांत्रिक संरक्षण का दुर्लभ द्वि-कवच प्राप्त होता है। यह उग्र मातृशक्ति और रक्षक शिवस्वरूप का ऐसा संगम है, जो साधक को हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखता है। जब संरक्षण की ऊर्जाएँ चरम पर होती हैं, महाकाली काल भैरव संयुक्त पूजा संपन्न की जाती है। इसी क्रम में 21,000 काली बीज मंत्रों का जप माँ महाकाली की अजेय शक्ति का आह्वान करता है, जो नकारात्मक बंधनों को काटकर संकटों के मूल कारण को नष्ट करता है। भैरव कवच हवन साधक और उसके परिवार के चारों ओर एक अभेद्य सुरक्षा कवच निर्मित करता है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो सकती है। श्री मंदिर के माध्यम से आप भी इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें।