तांत्रिक शास्त्र में भगवान भैरव एवं मां काली को अत्यंत शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण बताया गया है। वहीं देवी मां के आशीष पाने से पहले भगवान भैरव की पूजा करना भी अनिवार्य माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव देवी के 51 शक्तिपीठों की स्थापना कर रहे थे तब असुरों को इस बात का भय सताने लगा कि यदि पृथ्वी पर इन शक्तिपीठों की स्थापना हुई तो असुरों का विनाश हो जाएगा। जिस कारण सभी असुर इन शक्तिपीठों को खंडित करने के लिए आगे बढ़ने लगे, इस बात को जानकर भगवान शिव ने इन शक्तिपीठों की रक्षा का दायित्व अपने भैरव अवतार को सौंपा।
तभी से यह माना जाता है कि भगवान भैरव से अनुमति के बाद ही कोई भी भक्त देवी मां के दर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। दिनांक 2 जून 2024 को शक्तिपीठ मां तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल एवं श्री विक्रांत भैरव मंदिर, उज्जैन में दिव्य महाकाली तंत्रोक्त यज्ञ एवं काल भैरव अष्टकम स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जाएगा।