✨ साल की आखिरी दुर्गाष्टमी पर की जाने वाली माँ विंध्यवासिनी पूजा अत्यंत शुभ, शक्तिदायक और हर मनोकामना पूर्ण करने वाली मानी गई है। इस पावन दिन भक्त मां के विंध्याचल रूप का आह्वान कर अपने जीवन से भय, अवरोध, दोष और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। इस विशेष तिथि पर मां की पूजा और नव चंडी हवन का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों को नए साल के लिए सुरक्षा, समृद्धि और इच्छापूर्ति की दिशा दिखा सकता है। अंतिम दुर्गाष्टमी पर की गई यह विंध्यवासिनी महापूजा जीवन में सौभाग्य, समृद्धि, सुरक्षा और स्थायी शांति प्रदान करने वाली मानी जाती है। क्योंकि ये आशीर्वाद अक्सर पूरे परिवार के लिए मांगे जाते हैं, इसलिए कई भक्त अपने प्रियजनों को एक साथ एक संकल्प में शामिल करने के लिए परिवार के साथ यह महापूजा चुन सकते हैं।
✨ माँ विंध्यवासिनी पूजा और नव चंडी हवन अत्यंत शक्तिशाली, सिद्ध और कल्याणकारी अनुष्ठान माना जाता है, जो साधक के जीवन से बाधाएँ, भय, रोग, नज़र दोष और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। विंध्याचल पर्वत पर विराजमान माँ विंध्यवासिनी को शक्तिरूपा, संकटमोचना और सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इस अनुष्ठान में देवी को लाल पुष्प, अक्षत, कुमकुम, नैवेद्य, धूप-दीप और विशेष मंत्रों से आराधित किया जाता है।
✨ नव चंडी हवन में देवी के 9 रूपों का आह्वान कर चंडी पाठ के मंत्रों के साथ आहुतियां दी जाती हैं। इससे भक्तों के जीवन में छिपी नकारात्मक शक्तियां, ग्रह दोष, शत्रु बाधाएं, आर्थिक रुकावटें और मानसिक तनाव का सिलसिला कम होने लगता है। हवन की पवित्र अग्नि वातावरण को शुद्ध कर दिव्य ऊर्जा का संचार करती है। इस संयुक्त अनुष्ठान से घर-परिवार में शक्ति, समृद्धि, सौभाग्य, सुरक्षा और स्थायी शांति बढ़ती है। माना जाता है कि माँ विंध्यवासिनी की कृपा से साधक के रुके हुए कार्य सिद्ध हो सकते हैं और जीवन में नई दिशा, हिम्मत और सफलता के द्वार खुलते हैं।
🌸 श्री मंदिर द्वारा साल 2025 की अंतिम दुर्गाष्टमी पर मां विंध्यवासिनी पूजा और नव चंडी हवन में भाग लें और नए साल के लिए सुरक्षा, समृद्धि और इच्छापूर्ति का आशीर्वाद पाएं।