आज के समय में तनाव, अकेलापन और भावनात्मक थकान सभी के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। यह स्थिति मन को कमजोर करती है और भीतर डर तथा उदासी का भाव पैदा करती है। ऐसे समय में माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति और रक्षा प्रदान करने वाली कृपा जीवन में संबल देती है। इसी क्रम में नवरात्रि अष्टमी पर मां तारा, मां काली, मां त्रिपुरसुंदरी और मां भैरवी की तंत्रयुक्त यज्ञ साधना बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली मानी गई है। इन चार महाविद्याओं की संयुक्त पूजा से भक्तों को दिव्य ऊर्जा, आत्मबल और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस विशेष यज्ञ में मंत्रोच्चारण, नवद्रव्य हवन, पुष्प अर्पण और देवी आह्वान की विधियां शामिल होती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस साधना से बाधाएं शांत हो सकती हैं, साहस बढ़ता है और सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है। इसीलिए नवरात्रि की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। अष्टमी पर देवी की उपासना से नकारात्मक ऊर्जाओं, भय और बाधाओं से मुक्ति मिलने की मान्यता है। इस दिन मां तारा, मां काली, मां त्रिपुर सुंदरी और मां भैरवी तंत्र युक्त साधना भी अत्यंत शुभ फलदायी मानी गई है। श्रद्धा से इस महायज्ञ में भाग लेने से भक्तों को आत्मबल, समृद्धि और मां का दिव्य आशीर्वाद मिलता है।
🌸 इस पावन अवसर पर हम माँ के चार महाविद्या स्वरूपों की आराधना करेंगे –
🌸 माँ तारा – करुणामयी मार्गदर्शक, जो भक्त को सबसे बड़ी विपत्तियों से उबारती हैं।
🌸 माँ काली – अहंकार, अंधकार और भीतर के भय का नाश करने वाली शक्ति
🌸 माँ त्रिपुरा सुंदरी – जीवन में सौंदर्य, शांति और स्पष्टता प्रदान करने वाली देवी।
🌸 माँ भैरवी – साहसी रक्षक, जो सभी नकारात्मकताओं को दूर करती हैं।
यह विशेष महायज्ञ भारत के तीन पवित्र शक्तिपीठों पर संपन्न होगा, जहां देवी की ऊर्जा अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है –
🔸 तारापीठ मंदिर – यहां मां सती की आंख गिरी थी, मां तारा की पूजा होगी।
🔸 कालीघाट मंदिर – यहां मां सती का दाहिना अंगूठा गिरा था, मां काली और मां भैरवी की पूजा होगी।
🔸 ललिता देवी मंदिर – यहां मां सती की उंगली गिरी थी, मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा होगी।
🧿 श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह अनुष्ठान साधकों के लिए एक अद्वितीय अवसर है, जहां वे चिंता मुक्त होकर महाविद्याओं की दिव्य शक्ति में स्वयं को समर्पित कर सकते हैं।