🪷 शास्त्रों के अनुसार, माँ कमलात्मिका, माँ लक्ष्मी का तांत्रिक और मूल स्वरूप हैं। वह उस शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिससे समृद्धि के सभी रूप उत्पन्न होते हैं जिसमें धन, संसाधन, अवसर और आंतरिक संपन्नता शामिल है। अस्थायी लाभ की बजाय, उनकी कृपा मूल धन (root wealth) से जुड़ी होती है। उन्हें विशेष रूप से तब पूजा जाता है जब लक्ष्मी आती है लेकिन स्थायी रूप से नहीं ठहरती। हिंदू ग्रंथ बताते हैं कि धन को संतुलित रखने के लिए सुरक्षा और अनुशासन आवश्यक है। इसी कारण, माँ कमलात्मिका की पूजा हमेशा भगवान कुबेर के साथ की जाती है, जो देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और नव निधि संग्रहीत संपत्ति, भंडार, संसाधन और अचानक क्षति से सुरक्षा की रक्षा करते हैं।
🪷 दैनिक जीवन में अक्सर यह देखा जाता है कि आय कुछ समय बढ़ती है, अवसर आते हैं, लेकिन बचत कम हो जाती है, अप्रत्याशित खर्च बढ़ जाते हैं या धन अनजाने में बाहर चला जाता है। शास्त्र बताते हैं कि ऐसा तब होता है जब लक्ष्मी तत्व सक्रिय होता है, लेकिन उसे स्थिर आधार नहीं मिलता। माँ कमलात्मिका की पूजा इस असंतुलन को दूर करने के लिए की जाती है। उनकी पूजा से स्पष्टता, अनुशासन और प्रयास व धर्म पर आधारित स्थायी समृद्धि की दिशा मिलती है। इस चक्र को पूरा करते हैं भगवान कुबेर, जो धन लाते हुए उसे संरक्षित रखते हैं। उनकी नौ दिव्य निधियाँ (Nav Nidhis) संग्रहीत संपत्ति, भंडार, संसाधन और अचानक हानि से सुरक्षा का प्रतीक हैं। माँ लक्ष्मी की कृपा अस्थिर हो सकती है, लेकिन कुबेर की निधि स्थिर मानी जाती है। इसलिए माँ कमलात्मिका और भगवान कुबेर स्थिर समृद्धि का प्रतीक हैं।
🪷 माँ कमलात्मिका 10,008 कमल गट्टा बीज अर्पण और कुबेर नव निधि पूजा उज्जैन के गज लक्ष्मी मंदिर में केवल अस्थायी धन प्राप्ति के लिए नहीं, बल्कि “कोष ऊर्जा” स्थापित करने के लिए की जाती है। यह पूजा स्थिरता, संरक्षण और जिम्मेदार समृद्धि की आध्यात्मिक नींव बनाने में मदद करती है और आने वाले वर्ष में संतुलन, स्थिरता और समझदारी से धन प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।
इस विशेष पूजा में श्री मंदिर के माध्यम से भाग लें और वित्तीय संतुलन, दीर्घकालिक स्थिरता और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें। 🌸