🪙 कई बार पूरी मेहनत के बावजूद धन टिकता नहीं है, बचत खत्म हो जाती है और कर्ज बढ़ने लगते हैं। हमारे शास्त्रों में इसे इस तरह समझा गया है कि अष्टलक्ष्मी यानी समृद्धि की आठ शक्तियों के प्रवाह में रुकावट आ गई है। ऐसी गहरी आर्थिक परेशानी दूर करने और स्थायी समृद्धि पाने के लिए भक्त मां गजलक्ष्मी और श्री स्वर्णाकर्षण भैरव की संयुक्त कृपा का आश्रय लेते हैं।
🪙 स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में मां गजलक्ष्मी को ऐसी देवी बताया गया है, जो बाधाओं पर विजय देती हैं और निरंतर धन की प्राप्ति कराती हैं। दो हाथियों द्वारा उन्हें अभिषेक करते हुए दिखाया जाता है, जो लगातार धन, पवित्रता और शुभता का प्रतीक है। माना जाता है कि इस स्वरूप की पूजा करने से आर्थिक अस्थिरता के कारण दूर होते हैं और घर में संतुलन लौटता है। भैरव तंत्र में भगवान स्वर्णाकर्षण भैरव को भगवान शिव के ऐसे गूढ़ रूप के रूप में बताया गया है जो धन को आकर्षित करते हैं और उसकी रक्षा करते हैं। पुराणों में उन्हें छिपे खजानों के रक्षक और धन को संभालकर रखने वाले देवता के रूप में वर्णित किया गया है। मां गजलक्ष्मी जहां धन के द्वार खोलती हैं, वहीं स्वर्णाकर्षण भैरव उसे टिकाए रखने, बढ़ाने और हानि या कर्ज से बचाने का कार्य करते हैं।
🪙 लक्ष्मी से जुड़ा यह शुभ शुक्रवार समृद्धि की साधना के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन पूरे भक्तिभाव से महायज्ञ किया जाता है। अग्नि में दी जाने वाली आहुतियों के माध्यम से कर्ज, नुकसान और आर्थिक रुकावटों के कारण धीरे-धीरे समाप्त होते हैं। मां गजलक्ष्मी की प्रार्थना से अभाव के मूल कारण दूर होते हैं, और स्वर्णाकर्षण भैरव की शक्तिशाली आहुतियाँ धन के आगमन को स्थिर करती हैं, गरीबी दूर करती हैं और दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि का मार्ग बनाती हैं।
🪙 भक्त मानते हैं कि इस महायज्ञ में आस्था से भाग लेने से पुरानी नकारात्मक स्थितियाँ टूटती हैं, मन से आर्थिक तनाव मिटता है और घर में सुरक्षित, स्थिर और निरंतर समृद्धि का प्रवाह शुरू होता है।
🪙 श्री मंदिर के माध्यम से आप मां गजलक्ष्मी और भगवान स्वर्णाकर्षण भैरव की संयुक्त कृपा प्राप्त कर सकते हैं — कर्ज से राहत, समृद्धि और स्थायी आर्थिक स्थिरता के लिए यह अनुष्ठान बेहद फलदायी माना गया है।