जीवन रूपी यात्रा में कई बार ऐसा होता है कि इंसान कानूनी उलझनों में फंसता चला जाता है, षड्यंत्रों से घिर जाता है और शत्रुओं का निशाना बना रहता है। ऐसे हालात उन्नति को रोकते हैं, मानसिक बल को कमजोर करते हैं और आत्मविश्वास को डगमगा देते हैं। वैदिक परंपरा में इन संघर्षों को कर्म की परीक्षा माना गया है और शास्त्रों में इन्हें दूर करने के लिए शक्तिशाली उपाय बताए गए हैं। नकारात्मकता का नाश करने वालीं माँ बगलामुखी और कर्म-न्याय के देवता शनि की उपासना ऐसे समय में बेहद फलदायी मानी गई है।
इस शनिवार दो सिद्ध तीर्थों में श्री मंदिर द्वारा पवित्र अनुष्ठानों का आयोजन होगा, जिसमें मां बगलामुखी और शनिदेव का आशीष पाने के लिए विद्वान पुरोहित आपके नाम से महापूजा संपन्न कराएंगे:
🔹 माँ बगलामुखी तंत्र युक्त हवन: शत्रुओं को शांत करने, नकारात्मक प्रभावों को हटाने और कानूनी व व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने का साहस देने के लिए।
🔹 शनि तिल-तेल अभिषेक: शनि के कठोर प्रभाव को शांत करने, कर्मजन्य बोझ को हल्का करने और न्याय, धैर्य व स्थिरता की सही दिशा पाने के लिए।
📿 यह पूजन क्यों विशेष है?
माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में आठवीं देवी हैं और ‘स्तंभन शक्ति’ की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। तांत्रिक हवन के माध्यम से उनका आह्वान कर भक्त षड्यंत्रों से बचाव, मन की एकाग्रता और इच्छाशक्ति को मजबूत करने की प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि माँ की कृपा से वाणी और विचारों में स्पष्टता आती है और विवादों से राहत की दिशा मजबूत होने लगती है।
वहीं, भगवान शनि जो ‘कर्मफल दाता’ हैं, उन्हें शनिवार के दिन तिल-तेल अभिषेक से प्रसन्न किया जाता है। शनिदेव कृपा से जीवन में धैर्य, संतुलन और न्याय की स्थापना होती है। मान्यता है कि शनि की उपासना से लंबे समय से चले आ रहे कानूनी विवाद और शत्रु भय से राहत मिल सकती है। जब ये दोनों अनुष्ठान एक साथ किए जाते हैं तो यह दिव्य ऊर्जा का संगम बनाते हैं, जो बाधाओं को दूर करने, छिपे शत्रुओं से सुरक्षा देने और न्यायपूर्ण विजय का मार्गदर्शन देने वाला माना गया है।
✨ श्री मंदिर के माध्यम से इस शनिवार बगलामुखी-शनि कॉम्बो विशेष पूजा में भाग लें और जीवन में सुरक्षा, साहस के साथ चौतरफा उन्नति का अनुभव करें।