क्या आप जानते हैं? भगवान श्रीराम और पांडवों ने भी विजय प्राप्ति हेतु माँ बगलामुखी की उपासना की थी। इस नवरात्रि, आप भी उनके आशीर्वाद से जुड़ें 🙏
सनातन धर्म में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा का विशेष महत्व है। यह दिन शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है, जो माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पवित्र समय है। यह सम्पूर्ण काल दिव्य ऊर्जाओं से परिपूर्ण माना जाता है और ईश्वर से सुरक्षा तथा सफलता की प्रार्थना करने का सर्वोत्तम समय है। इस दिन भक्त कठिन परिस्थितियों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। दस महाविद्याओं में से एक माँ बगलामुखी की विशेष उपासना इस दिन की जाती है, जिन्हें विजय प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।
एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में जब ब्रह्मांड में भयंकर आंधी-तूफान आया, तब देवता संकट में पड़ गए। तभी हल्दी के सरोवर से पीले तेज का प्राकट्य हुआ और माँ बगलामुखी प्रकट हुईं। उन्होंने तुरंत उस असुर की जिह्वा पकड़कर उसे मौन कर दिया और सृष्टि की रक्षा की। तभी से उन्हें वाद-विवाद, शत्रु और संकट को शांत करने वाली देवी माना जाता है।
इस विशेष पूजन में ‘तंत्र युक्त हवन’ किया जाता है, जिसमें आहुतियों और मंत्रों के माध्यम से माँ बगलामुखी की दिव्य शक्ति का आह्वान होता है। साथ ही ‘यंत्र षोडशोपचार कुमकुम अभिषेक’ किया जाता है। कुमकुम का गहरा लाल रंग साहस, वीरता और विजय का प्रतीक है। शास्त्रों में कुमकुम को पवित्र तत्व बताया गया है और माँ बगलामुखी के यंत्र पर कुमकुम अभिषेक करने से शत्रु भय निवारण और संघर्षों में अडिग शक्ति प्राप्त होने की मान्यता है।
इस नवरात्रि माँ बगलामुखी के तंत्र युक्त पूजन का विशेष समय है। भक्तों का विश्वास है कि उनके आशीर्वाद से शत्रुओं की वाणी शांत होती है, न्यायालयीन मामलों में सफलता की राह मिलती है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजन में सम्मिलित हों और माँ बगलामुखी की शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें।