साल के समापन का समय कर्म-शुद्धि और नकारात्मक प्रभावों के अंत का विशेष काल भी है। इस महापूजा में दिसंबर के आखिरी 4 शनिवार सबसे महत्वपूर्ण हैं, जिनमें की गई आराधना से मुश्किलों, विलंब और तनाव से राहत की दिशा मिल सकती है। मान्यता है कि इन 4 शनिवारों पर साढ़े साती शांति और तिल-तेल अभिषेक से नए वर्ष में सुरक्षा, प्रगति और शांति का मार्ग मिलता है। जो भक्त खुद को ‘साढ़े साती’ के चक्रव्यूह में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं तो ये 4 शनिवार उज्जैन प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में महानुष्ठान होने जा रहा है। विद्वान मानते हैं कि यह आपके जीवन में नए और बड़े बदलाव लाने की शक्ति रखता है।
🪐 लगातार 4 शनिवारों (6, 13, 20, 27 दिसंबर) को होने जा रही शनि साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा शनि के दुष्प्रभावों को शांत करने और जीवन में स्थिरता लाने का अत्यंत शक्तिशाली उपाय माना जाता है। नियमित 4 सप्ताह तक की गई यह पूजा मन, करियर, स्वास्थ्य और साढ़े साती असर को धीरे-धीरे कम करती है। इस महापूजा में तिल का तेल, काला कपड़ा, तिल, उड़द और नीले पुष्प जैसे द्रव्य अर्पित किए जाते हैं। शनि साढ़े साती में कुल 7 वर्ष 6 माह की अवधि होती है। यह महापूजा जीवन में आ रही मुश्किलों, देरी और मानसिक तनाव को दूर कर साल 2026 से पहले आपके जीवन को शुद्ध, शांति और खुशहाल बना सकती है।
🪐 लगातार 4 शनिवारों को किया जाने वाला शनि तिल तेल अभिषेक शनि की कठोर ऊर्जा को शांत करने और जीवन में स्थिरता लाने का अत्यंत प्रभावशाली उपाय माना जाता है। इस दिव्य अभिषेक में काले तिल और तिल के तेल का उपयोग शनि द्वारा उत्पन्न मानसिक दबाव, आर्थिक रुकावट, कर्ज भार और कार्य में आने वाली बाधाओं को कम कर सकता है। उज्जैन के श्री नवग्रह शनि मंदिर में दिसंबर के आखिरी 4 शनिवार को तिल तेल अर्पित करने से नकारात्मक कर्म शांत होते हैं और मन हल्का होता है। 4 सप्ताह का यह क्रम व्यक्ति को सुरक्षा, प्रगति और मानसिक संतुलन की सही दिशा दिखा सकता है।
🪐 उज्जैन का श्री नवग्रह शनि मंदिर शनि उपासना का अत्यंत शक्तिपूर्ण स्थल माना जाता है। यहां भक्त साढ़े साती पीड़ा शांति महापूजा और शनि तिल तेल अभिषेक कर जीवन के अनदेखे कष्टों से राहत की प्रार्थना करते हैं। श्री मंदिर द्वारा दिसंबर के आखिरी 4 शनिवारों को आयोजित होने वाला यह अनुष्ठान साल 2025 का आखिरी और स्वर्णिम अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें!