वैदिक ज्योतिष में राहु को वह ग्रह माना जाता है जो मन में भ्रम, डर, अनिश्चितता और असंतुलन की स्थिति पैदा करता है। जब राहु की ऊर्जा तीव्र हो जाती है, तो व्यक्ति को अचानक उलझन, अधिक सोचने की आदत, अनफोकस्ड मन और असंतुलित निर्णयों का अनुभव होने लगता है। कई बार काम अधूरे रह जाते हैं, दिशा धुंधली हो जाती है और मन शांत नहीं रह पाता। साल का आखिरी समय ऐसा होता है जब पूरे वर्ष की ऊर्जा मन पर जमा रहती है, और राहु ग्रह की अशांत तरंगें इस मानसिक बोझ को और बढ़ा देती हैं। इसलिए साल खत्म होने से पहले मन को स्थिर करने, राहु की नकारात्मकता को शांत करने और नई दिशा महसूस करने के लिए एक गहरी, केंद्रित साधना की आवश्यकता मानी जाती है।
इसी उद्देश्य से श्री मंदिर के माध्यम से साल के आखिरी 18 दिनों में निरंतर 18,000 राहु मूल मंत्र जाप प्रतिदिन किया जाएगा। इस प्रकार कुल 3,24,000 राहु मूल मंत्र जाप सम्पन्न होंगे, जिसके उपरांत दशांश हवन भी आयोजित किया जाएगा। मंत्रों की यह निरंतर साधना मन के भीतर जमा अनचाहे विचारों, भय और अस्थिरता को कम करने का एक माध्यम मानी जाती है। जब एक मंत्र लगातार 18 दिनों तक जपा जाता है, तो वह मन को धीरे-धीरे स्थिर करने और राहु से जुड़ी अशांति को नियंत्रित करने की दिशा में सहारा देता है।
साल के आखिरी 18 दिन इसलिए चुने गए हैं क्योंकि यह वह समय होता है जब व्यक्ति अगले वर्ष के लिए मानसिक रूप से तैयारी करता है। अगर मन भारी हो, भावनाएँ असंतुलित हों और विचार उलझे हों, तो नया वर्ष बोझिल महसूस हो सकता है। राहु मूल मंत्र का जाप मन को धीरे-धीरे शांत करने, अव्यवस्थित सोच को व्यवस्थित करने और आंतरिक खालीपन को हल्का करने में सहायक माना जाता है। दशांश हवन इस साधना को पूर्ण करता है और वातावरण में एक शुद्ध, साफ और शांत तरंग स्थापित करता है।
यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त व प्रभावी मानी जाती है जो राहु दोष, भ्रम की स्थिति, मानसिक बेचैनी, अनियमित विचार या दिशा न मिल पाने जैसी स्थितियों से गुजर रहे हों। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित इस 18 दिवसीय राहु मूल मंत्र साधना में जुड़कर अपने मन को वर्ष के अंत में एक शांत, हल्का और केंद्रित अनुभव दे सकते हैं। यह समय अपने भीतर की ऊर्जा को व्यवस्थित करने और वर्ष 2026 में मानसिक स्पष्टता के साथ कदम रखने का सबसे फलदायी अवसर बन सकता है।