सनातन धर्म में एकादशी का दिन बहुत पवित्र और शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से आत्मा शुद्ध होती है और जीवन में धर्म, सफलता और संतोष की राह खुलती है। पुराणों में बताया गया है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, वह मृत्यु के बाद विष्णुधाम को प्राप्त होता है और जीवित रहते हुए उसके कामकाज में भी शुभता आती है। स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि एकादशी पर उपवास और विष्णु भक्ति करने से पाप कम होते हैं और साधक की आत्मा निर्मल हो जाती है।
एकादशी केवल मोक्ष और साधना का दिन नहीं है, बल्कि गृहस्थ जीवन के लिए भी यह बहुत लाभकारी मानी जाती है। इस माह इस एकादशी के साथ शुक्रवार का संयोग भी बन रहा है, जो भगवान विष्णु की धर्मपत्नी देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस पावन संयोग में यदि पति-पत्नी मिलकर पूजा करें, तो उनके बीच प्रेम, समझ और सामंजस्य बढ़ता है। अविवाहित लोगों के लिए यह दिन अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति का अवसर देता है, जबकि विवाहितों के लिए दांपत्य जीवन में सौहार्द और स्थिरता लाती है। परिवार में शांति, संतुलन और सुख बनाए रखने के लिए भी इस तिथि का विशेष महत्व है।
इस दिन विशेष पूजा में विष्णुपद पर लक्ष्मी-नारायण युगल की षोडशोपचार पूजा की जाती है। जिसमें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की सोलह प्रकार की विधियों से आराधना होती है, जैसे स्नान, गंध, पुष्प, धूप, दीप, भोग और वस्त्र अर्पित करना। यह पूजा पति-पत्नी के बीच सामंजस्य और दांपत्य जीवन की स्थिरता का प्रतीक मानी जाती है। इसी अवसर पर श्री हरि स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की स्तुति होती है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी पर यह पाठ करने से परिवार में आपसी सम्मान, शांति और संतुलन बढ़ता है।
इसीलिए इस दिव्य संयोग में मथुरा के श्री दीर्घ विष्णु मंदिर में यह विशेष अनुष्ठान आयोजित किया जा रहा है। आप भी इस पावन दिन श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित इस विशेष अनुष्ठान में शामिल होकर भक्ति और सौहार्द का अनुभव कर सकते हैं।