🙏 माँ लक्ष्मी ने देवलोक क्यों छोड़ा?🌟✨
शास्त्रों के अनुसार, ऋषि दुर्वासा, जो अपने तेज़ स्वभाव के लिए जाने जाते थे, ने एक बार देवताओं के राजा इंद्र को एक दिव्य माला (वैजयंती माला) भेंट की। इंद्र ने लापरवाही से माला अपने हाथी ऐरावत पर रख दी, जिसने उसे जमीन पर फेंक दिया। यह देखकर ऋषि दुर्वासा क्रोधित हो गए और उन्होंने इंद्र और देवताओं को श्राप दे दिया कि उनकी धन, शक्ति और समृद्धि नष्ट हो जाएगी। धन, भाग्य और समृद्धि की देवी माँ लक्ष्मी ऐसे स्थान पर नहीं रह सकतीं, जहाँ धर्म, विनम्रता और कृतज्ञता न हो। इसलिए, उन्होंने देवलोक छोड़ दिया और श्री सागर में वापस चली गईं, जिससे देवता असहाय और निराश्रित हो गए।
🙏 लक्ष्मी पंचमी – साल में एक बार मिलने वाला धन, स्थिरता और सफलता का शुभ अवसर! ✨🌸
जब माँ लक्ष्मी देवताओं को छोड़कर श्री सागर चली गईं, तो देवताओं ने अपनी संपत्ति और वैभव खो दिया। उन्हें वापस लाने के लिए देवराज इंद्र ने कठोर तपस्या, पूजा और उपवास किया और अन्य देवताओं व यहाँ तक कि राक्षसों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माँ लक्ष्मी पुनः प्रकट हुईं और भगवान विष्णु से विवाह किया, जिससे देवताओं को पुनः समृद्धि प्राप्त हुई। तभी से इस दिन को लक्ष्मी पंचमी के रूप में मनाया जाता है, जो धन-संपत्ति को आकर्षित करने, वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने और सौभाग्य लाने का प्रतीक है। इस शुभ अवसर पर महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष वैदिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो इसे अक्षय धन और समृद्धि प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर बनाते हैं।
पूजा अनुष्ठान में शामिल होंगे:
लक्ष्मी गायत्री मंत्र के 1,00,008 बार पाठ – यह माना जाता है कि इससे अपार वित्तीय आशीर्वाद और व्यावसायिक सफलता मिलती है।
लक्ष्मी सहस्रनामावली – देवी लक्ष्मी के 1000 पवित्र नामों का मंत्र, जो धन की स्थिरता और समृद्धि को आकर्षित करता है।
श्री सूक्तम पूजा – समृद्धि, शांति और दिव्य आशीर्वाद के लिए किया जाने वाला प्रसिद्ध वैदिक अनुष्ठान।
इन सभी अनुष्ठानों को 21 अनुभवी ब्राह्मणों द्वारा संपन्न कराया जाएगा। 21 की संख्या का विशेष महत्व है, जो पूर्णता और दिव्यता का प्रतीक है और इस महा अनुष्ठान की शक्ति को और अधिक प्रभावी बनाता है। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मी पंचमी पर इस पवित्र अनुष्ठान को करने से धन, स्थिरता और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री मंदिर के माध्यम से तिरुनेलवेली के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में इस दिव्य महा अनुष्ठान में भाग लें और अपने जीवन में माँ लक्ष्मी की अपार कृपा को आमंत्रित करें!