कभी-कभी व्यक्ति अपने व्यवसाय में पूरी मेहनत, समय और पूंजी लगाता है, फिर भी परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं मिलते। न ग्राहक टिकते हैं, न लाभ बढ़ता है। यह स्थिति थकावट और चिंता लाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सच्ची व्यापार वृद्धि केवल प्रयास से नहीं, बल्कि दिव्य अनुकूलता से होती है। माँ लक्ष्मी का आगमन ही नहीं, उनका स्थायित्व और संरक्षण भी आवश्यक होता है। व्यवसाय में वास्तविक समृद्धि तभी आती है जब उसमें लक्ष्मी की कृपा और कुबेर की सुरक्षा साथ हो।
मान्यता के अनुसार भगवान कुबेर को भगवान शिव ने समस्त ब्रह्मांड का खजांची नियुक्त किया था। वे संपत्ति के रक्षक और संचालक माने जाते हैं। वहीं माँ लक्ष्मी संपन्नता और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी हैं। जब दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है, तब धन की वृद्धि और स्थिरता दोनों आती हैं।
इस विशेष पूजा में कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के शुभ दिन श्री सूक्त का 108 बार पाठ किया जाता है। यह पाठ माँ लक्ष्मी की अनंत कृपा को आमंत्रित करता है। इसके साथ कुबेर मंत्र जाप किया जाता है जो धन की सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है।
इस दिन एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली में कुबेर-लक्ष्मी व्यापार वृद्धि यंत्र की चल प्रतिष्ठा की जाती है। यह यंत्र पूजा के माध्यम से ऊर्जित किया जाता है ताकि वह पूरे वर्ष के लिए व्यवसाय में शुभ ऊर्जा, ग्राहकों की वृद्धि और आर्थिक प्रगति का आधार बने। शास्त्रों में दीपावली वाले दिन व्यवसाय में नई शुरुआत और आर्थिक सफलता के लिए यह पूजा अत्यंत शुभ माना गया है।
यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से की जाती है ताकि माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा से आपके जीवन में सफलता, समृद्धि और आर्थिक स्थिरता आए।