कलियुग में, जहाँ भ्रम बढ़ता है और धर्म की परीक्षा होती रहती है, वहाँ मन का विचलित होना स्वाभाविक है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस युग में नकारात्मक शक्तियाँ बहुत जल्दी सक्रिय हो जाती हैं, जिसके कारण जीवन में अनचाही रुकावटें आने लगती हैं, घर का वातावरण तनावपूर्ण हो जाता है और मन बेचैन रहता है। लेकिन सनातन धर्म हमें केवल परिस्थितियों का वर्णन नहीं करता, वह हमें समाधान भी देता है। यही समाधान है भगवान श्री कृष्ण और माँ काली की संयुक्त उपासना, जो जीवन में सुरक्षा, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण, जो धर्म के मार्गदर्शक हैं, हमारे मन और बुद्धि को सही दिशा देते हैं। वे भ्रम को दूर करके निर्णय लेने की शक्ति देते हैं, ताकि हम कठिन परिस्थितियों में भी शांत और स्थिर रह सकें। वहीं दूसरी ओर माँ काली वह शक्ति हैं जो अंधकार और नकारात्मकता का नाश करती हैं। पुराणों में वर्णित है कि माँ काली अदृश्य बाधाओं, मानसिक भय और नकारात्मक ऊर्जाओं का तुरंत नाश करती हैं, ताकि अच्छाई की रक्षा हो सके और भक्त सुरक्षित रहे। जब कृष्ण का ज्ञान और माँ काली की शक्ति मिलती है, तो भक्त के चारों ओर एक अदृश्य रक्षा कवच बनता है, जो मानसिक मजबूती, भावनात्मक संतुलन और नकारात्मक परिस्थितियों से सुरक्षा प्रदान करता है।
इसी उद्देश्य से यह विशेष श्री कृष्ण–काली छाया कलियुग रक्षा कवच महापूजा अमावस्या पर भद्रकाली शक्तिपीठ में की जा रही है। इस महापूजा में भक्त अपने भय, चिंताओं और जीवन की बाधाओं को भगवान और माँ के चरणों में समर्पित करते हैं। आचार्यजी द्वारा संकल्प लेकर विशेष पिंड अर्पण और संयुक्त शक्ति–ज्ञान विधान किया जाता है, जिससे आपके और आपके परिवार के चारों ओर दिव्य सुरक्षा कवच स्थापित होता है। इस पूजा का उद्देश्य केवल नकारात्मकता को हटाना नहीं, बल्कि भय को विश्वास में बदलना, मन में स्पष्टता लाना और जीवन में शांति स्थापित करना है।
श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह महापूजा आपके जीवन में सुरक्षा, आंतरिक बल और गहरी शांति लाएं।